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इंदौर

बस स्टैंड के लिए जमीन दे दी थी दान, इसलिए नाम पड़ा सरवटे

  • 07 Jan 2022

इंदौर। नए सरवटे बस स्टैंड पर विनायक सीताराम सरवटे की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि नवनिर्मित सरवटे बस स्टैंड से शीघ्र ही बसों का संचालन शुरू हो जाएगा ।  इस बस स्टैंड का नाम सरवटे बस स्टैंड क्यों है।  इसे लेकर कई लोगों को जानकारी नहीं है। विनायक सीताराम सरवटे साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित थे।
 1969 में विनायक सीताराम सरवटे ने इस बस स्टैंड के लिए अपनी जमीन  दान दी थी, तभी से यह बस स्टैंड उनके नाम से किया गया था। ज्ञात हो कि 2018  मेें पुराने सरवटे बस स्टैंड को तोड़ दिया गया था।  उसकी जगह नया बस स्टैंड बनकर तैयार है उसके कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है।  सरवटे बस स्टैंड वैसे तो कई माह पूर्व बन जाता था लेकिन लेटलतीफी के कारण अभी तक नहीं हो पाया है।
विनायक सीताराम सरवटे मराठी स्वतंत्रता सेनानी ,शिक्षाविद, राजनैतिक नेता और इंदौर के लेखक थे। उन्हें स्वतंत्रता के बाद मध्य भारत राज्य से भारत की संविधान सभा के लिए मनोनीत किया गया था। उन्होंने अपनी बेटी शालिनी ताई मोघे के साथ बाल निकेतन संघ समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में एक संगठन की स्थापना की । उनका जन्म 1884 को हुआ था जबकि निधन 1972 में हुआ।
विनायक सीताराम सरवटे को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 1966  में भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के तीसरे  सवोच्य नागकिर सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।