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बात मुद्दे की

भीड..भीड़..भीड़ ..

  • 01 Dec 2022

कथा में व्यथा या भाव की ...!
यात्रा में दास्तां या दस्तूर की ..!
शहर में दो कार्यक्रम  ..दोनो में  भीड..भीड़..भीड़ ..
क्या समझे ..? कथा में मात्र व्यथा हेतु उपस्थिति या गाथा को श्रद्धा - भाव से श्रवण - मनन - चिंतन की ..
मात्र व्यथा के कारण धर्म आयोजनों में शामिल होना उसके उद्वेश्य को सार्थक नही करेगा .... और क्या ऐसे में कथा व्यथा बनकर न रह जाए... दुख से राहत के लिए क्या कथा का सहारा है... या कथा श्रद्धा से उपजे भाव का समर्पण है... फिर भी कथा में सहभागिता से मन को राहत तो है... लेकिन कथा मात्र व्यथा ना बनकर...जीवनोत्थान के हेतु -समाधान की ओर अग्रसर हो सके... इंदौर में पंडित प्रदीप मिश्रा जी की कथा ने कितने मन दीपकों को प्रजवल्लित किया...या मात्र व्यथा से ही भावर्पन हुआ ..ये सब समय के गर्भ में ही है ।
वही शहर में गत दिवस... भारत छोड़ो यात्रा में उमड़ी भीड़ का संकेत क्या है...क्या आदमी वर्तमान सरकार से... सत्ता से...ऊब गई है... बोर हो गई है....अब जनता विकल्प पर विचार कर रही है... जनता की भीड़ ने राहुल को उत्साहित किया... अगर किया है तो... सरकार के लिए निराशा का कारण भी... क्या भारत जोड़ो यात्रा विकल्प का सूत्र बन सकती है... राहुल उत्साहित हैं... क्या जनता भी वर्तमान दौर के राजनैतिक परिवेश के विकल्प पर विचार कर रही है... इसका सीधा सा अर्थ यही भी लगाया जा सकता है कि... जनता लम्बे दौर की वर्तमान सरकार से... अब उकता गई... फिर सोदेबाजी से गिरी कांग्रेस सरकार को... विकल्प के रूप में देखा जा रहा है...... फिर भी यह यात्रा.. राहुल की यात्रा... परिवर्तन की दस्तक... या कही सिर्फ दास्तां न हो जाए...?