चारों तरफ जालियां लगीं; बच्ची बोली-मैडम ने लड्डू गोपाल विसर्जित करा दिए थे
भोपाल। भोपाल-इंदौर हाईवे पर गांधी नगर से करीब 7 किलोमीटर आगे गांव तारा सेवनिया बसा है। यहीं आंचल चिल्ड्रन होम का संचालन बिना रजिस्ट्रेशन के हो रहा था। इसमें बड़े पैमाने पर बच्चियों और किशोरियों के धर्मांतरण की बात सामने आई है। प्रभु यीशु के जीवन से जुड़े प्रसंगों की तस्वीरें चिल्ड्रन होम परिसर, क्लास रूम और किचन में लगाई गई हैं। चिल्ड्रन होम का संचालन रेलवे चाइल्ड लाइन 1098 का संचालन करने वाली संस्था संजीवनी सर्विसेस सोसाइटी कर रही थी। यह खुलासा पुलिस और प्रशासन की शुरूआती जांच में हुआ है।
प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक, चिल्ड्रन होम बिल्डिंग का लोकार्पण फरवरी 2020 में हुआ था। बिल्डिंग रेलवे चाइल्ड लाइन 1098 के संचालक अनिल मैथ्यू की जमीन पर बनी है। वही इसका संचालन करता था। करीब 4 एकड़ एरिया में बने चिल्ड्रन होम में ईसाई समुदाय की आंचल माता का मंदिर भी बना है। यहीं रोजाना बच्चियां प्रभु यीशू की प्रार्थना करती थीं।
प्रवेश द्वार मुख्य बिल्डिंग से करीब 100 मीटर दूर है। पूरा हॉस्टल चारों तरफ से पैक है। देखने में किसी जेल जैसा नजर आता है। यही नहीं, बिल्डिंग के मुख्य गेट पर हमेशा ताला लगा रहता है। किसी बाहरी व्यक्ति की एंट्री बैन रहती थी। ग्रामीणों की मानें तो बाहर कभी कोई घूमता हुआ भी नजर नहीं आता था।
क्रिसमस पर निभाया था मरियम-जोसेफ का किरदार-
आंचल चिल्ड्रन होम से रेस्क्यू की गईं 41 बच्चियों में से 2 बच्चियां अनाथ और 4 आंशिक अनाथ (मां-पिता में एक की मौत) हैं। शेष 35 बच्चियों के पैरेंट्स जीवित हैं। बावजूद इसके उन्हें पैरेंट्स से अलग चिल्ड्रन होम में रखा जा रहा था। आंचल चिल्ड्रन होम में बीते महीने 25 दिसंबर को क्रिसमस का कार्यक्रम हुआ था। इस दौरान यहां एक प्ले हुआ था, जिसमें यहां रहने वाली एक किशोरी ने ईसा मसीह की मां मरियम और दूसरी लड़की ने जोसेफ का किरदार निभाया था।
बैग और बुक्स उठाने तक का मौका नहीं दिया
रेलवे चाइल्ड लाइन 1098 द्वारा रेस्क्यू किए गए बच्चों में से लड़कियों को बाल कल्याण समिति के सामने पेश नहीं किया जाता था। उन्हें आंचल चिल्ड्रन होम में अवैध तरीके से रखा जाता था। इसकी पुष्टि करने के लिए परवलिया सड़क थाना पुलिस आंचल चिल्ड्रन होम के संचालक अनिल मैथ्यू सहित दूसरे कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है।
तीसरी मंजिल को जालियां लगाकर पैक किया गया
जेलनुमा बने बालिका छात्रावास का प्रवेश द्वार मुख्य बिल्डिंग से करीब 100 मीटर दूर है। हॉस्टल की तीसरी मंजिल पर टीन शेड है। इसे जालियां लगाकर चारों ओर से पैक किया गया है। यहां बच्चों के कपड़े और पुराना सामान पड़ा है। हॉस्टल के हर रूम में 10-10 पलंग लगे हैं। हर पलंग के करीब अलमारी हैं, जिसमें बालिकाओं के सैंडल-शूज और कपड़े रखे हैं। हॉस्टल के किचन में राशन सहित अन्य जरूरी सामान मौजूद हैं। इसके पिछले हिस्से में कई जले हुए डाइपर पड़े हैं।
भोपाल
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- 08 Jan 2024