अफसरों की 20 करोड़ से ज्यादा संपत्ति पता की
उज्जैन। हर सही काम को भी बिना दाम के काम नहीं के फार्मूले पर चलने वाले अधिकारी और कर्मचारी अब लोगों की जागरूकता की बदौलत बेनकाब हो रहे हैं। अभी तक लोकायुक्त तो कार्रवाई कर रही थी लेकिन पहली बार आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने भी दस माह में दस केस दर्ज कर डाले। यह सब लोगों की जागरूकता का परिणाम है। उज्जैन आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई द्वारा इस साल जनवरी से अक्टूबर-2021 तक दस माह में दस मामले दर्ज किए गए हैं। यह कार्रवाई पहली बार है।
इसमें दो बड़ी कार्रवाई अधिकारियों के यहां छापे की है, जिसमें 20 करोड़ से अधिक की आय से ज्यादा संपत्ति का खुलासा किया गया। इसके अलावा तीन अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए व पांच के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए गए हैं। ईओडब्ल्यू एसपी दिलीप सोनी ने बताया आर्थिक अपराध संबंधी मामले में विभाग अपने स्तर पर जानकारी जुटा कार्रवाई कर रहा है लेकिन लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जागरूकता बढ़ी है, वे शिकायत करने आने लगे इसी की बदौलत कार्रवाई में भी तेजी आई है।
टीएनसीपी का मान चित्रकार 15 करोड़ की संपत्ति का मालिक
देवास टीएंडसीपी का मान चित्रकार विजय कुमार दरियानी निवासी इंदौर के यहां एक अक्टूबर को छापे में 15 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ। इसके अलावा 19 लाख रुपए नकद भी मिले। लॉकरों से सोना जब्त हुआ। दरियानी ने चाबी नहीं दी तो तिजोरी तोडऩा पड़ी थी।
45 हजार रुपए वेतन पाने वाले बैंक पर्यवेक्षक की संपत्ति पांच करोड़ रुपए
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पर्यवेक्षक शंकरलाल शर्मा 60 साल निवासी कानड़ जिला आगर के यहां सितंबर में छापा मारने पर पांच करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ। शर्मा का वेतन 45 हजार रुपए महीना है लेकिन आय से अधिक संपत्ति कैसे अर्जित की, उसका जवाब नहीं दे पाया। ईओडब्ल्यू के एएसआई अशोक राव ने बताया बिना रिश्वत व भ्रष्टाचार के ये काम नहीं करते। इसी रास्ते काली कमाई से आलीशान संपत्ति जुटाते हैं।
तीन अधिकारी जो बिना घूस लिए काम ही नहीं करते थे
9 जुलाई को लिंबोदा में तहसील कार्यालय के ऑपरेटर सचिन विश्वकर्मा को 10 हजार की रिश्वत लेते ट्रेप किया। वह फरियादी गणेश जाट से कृषि भूमि संबंधी लंबित कार्य करने के बदले 10 हजार की मांग कर रहा था।
14 सितंबर को तराना सामुदायिक केंद्र के लेखापाल दीपक राठौर निवासी पिपलीनाका उज्जैन 16 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। वह फरियादी रीमा से इंसेटिव राशि के बदले घूस मांग रहा था।
7 अक्टूबर को बागली में रेंजर बिहारीलाल सिकरवार निवासी इंदौर को 20 हजार की घूस लेते पकड़ा। वह शासकीय कार्य को करने के बदले में ही बीस हजार की मांग कर रहा था, जिसे रंगेहाथों ट्रेप किया गया।
इतने अधिकारी-कर्मचारी फंसे
16 जून को रतलाम जिले के सैलाना की तत्कालीन परियोजना अधिकारी भारती चौहान, तत्कालीन परियोजना अधिकारी बांजना मुकेश वर्मा व सुपरवाइजर सैलाना प्रेरणा चौहान आंगनवाड़ी भवन उन्नयन में कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से भ्रष्टाचार करते पाए गए।
23 जून को पटवारी रामस्वरूप साहू निवासी होशंगाबाद को नीमच में पदस्थापना के दौरान शासकीय रिकॉर्ड में हेराफेरी कर लाखों के भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर कार्रवाई की गई।
30 जुलाई को बड़ावदा प्रभारी मुख्य नपा अधिकारी भारतसिंह परिहार, तत्कालीन मुख्य नपा प्रभारी अधिकारी धरमचंद जैन, सुनीता प्रदीप मेहता तत्कालीन अध्यक्ष नपा बड़ावदा, यासिर मोहम्मद अंहिगर निवासी महिदपुर, मल्टी अर्बन इंफ्रा कंपनी संचालक, अभिषेक अवस्थी सांई कंस्ट्रक्शन जनता के रुपए का बेवजह इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार कर रहे थे।
5 अक्टूबर को बजरंग गृह निर्माण सहकारी संस्था के अशोक कुमार जैन, अशोक रमानी, शंकरलाल, भगवानसिंह समेत अन्य के खिलाफ संस्था के नाम से अन्य आम सदस्यों के साथ लाखों की धोखाधड़ी किए जाने पर प्रकरण दर्ज किया गया।