भोपाल, (एजेंसी)। दुनिया के 11 देशों में मंकी पॉक्स के मरीज मिलने के बाद अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मध्यप्रदेश में भी विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। कोरोना के बाद तेजी से इस बीमारी के फैलने की आशंका को देखते हुए विदेश से आने वाले यात्रियों की निगरानी तेज की गई है। इंदौर, भोपाल सहित प्रदेश के एयरपोट्र्स पर मॉनिटरिंग शुरू की गई है।
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर जिमी व्हिटवर्थ ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा- कोरोना महामारी के कारण बहुत समय तक इंटरनेशनल ट्रैवलिंग बंद थी। अब एकदम से पाबंदियां हटने के बाद लोगों का अफ्रीकी देशों में आना-जाना हो रहा है। शायद इसलिए मंकी पॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं।
पहली बार साल 1958 में यह वायरल इन्फेक्शन बंदर में पाया गया था। इंसानों में पहली बार यह बीमारी 1970 में पाई गई थी। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था, जिसके 75 प्रतिशत मरीज पुरुष थे। यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो यह ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है।
संक्रामक बीमारी है मंकी पॉक्स
मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकी पॉक्स फैल सकता है। एक्सपट्र्स के मुताबिक, ठीक से मांस पका कर न खाने या संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी आप इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
हाल ही में पहला केस कहां
ब्रिटेन में इसका पहला मरीज 7 मई को मिला था। फिलहाल यहां मरीजों की कुल संख्या 9 है। वहीं, स्पेन में 7 और पुर्तगाल में 5 मरीजों की पुष्टि हुई है। अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में मंकी पॉक्स के 1-1 मामले सामने आए हैं। साथ ही कनाडा में 13 संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है। बेल्जियम में शुक्रवार को 2 मामलों की पुष्टि हुई है।
यह है बीमारी के लक्षण
मंकी पॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं। आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।