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मानसून की बेरुखी ने बढ़ाई चिंता, मालवा-निमाड़ में हालात बिगड़े

  • 24 Aug 2021

भोपाल। मध्यप्रदेश में मानसून की धमाकेदार एंट्री के बाद उसकी बेरुखी ने प्रदेश में चिंता के हालात पैदा कर दिए हैं। मालवा और निमाड़ पहले से ही सूखे की चपेट में थे। अब जबलपुर और बुंदेलखंड के हालात भी बिगड़ गए हैं। भोपाल, ग्वालियर, मुरैना और सागर जैसे बड़े शहरों में भी स्थिति ठीक नहीं है। यहां सामान्य कोटे से कम बारिश ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। मौसम विभाग की मानें तो अगर 10 दिन में इन इलाकों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो हालत और खराब हो जाएंगे, हालांकि शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और सिंगरोली में सामान्य से ज्यादा बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।
आगे भी यह स्थिति रहेगी
मौसम वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया, अभी 26 अगस्त तक इसी तरह मौसम रहेगा। कहीं-कहीं हल्की बौछारें पड़ सकती हैं, लेकिन प्रदेश में कहीं भी ज्यादा बारिश नहीं है। सप्ताह के अंत में एक सिस्टम के सक्रिय होने की उम्मीद है। अगर वह सक्रिय होता है, तो सूख प्रभावित क्षेत्रों में अच्छी बारिश की उम्मीद है। अगले 10 दिन मानसून के लिहाज से महत्वपूर्ण है। अगर इन दिनों बारिश होती है, तो प्रदेश की स्थिति ठीक हो सकती है।
एक सप्ताह में बिगड़ी स्थिति
प्रदेश में मानसून की दस्तक समय से पहले हो गई थी। धमाकेदार बारिश के कारण प्रदेश में सभी जगह स्थिति ठीक थी, लेकिन कुछ इलाकों में कम बारिश के बाद भी राहत थी। इसके बाद मानसून ने जुलाई के शुरुआत में ब्रेक लिया। इसके बाद हालात बिगडऩे लगे। करीब 22 दिन तक बारिश नहीं होने से प्रदेश के कई इलाके सूखे की चपेट में आ गए। वहीं, ग्वालियर चंबल में ज्यादा पानी गिरने से बाढ़ ने तबाही मचा। मानसून के दूसरे ब्रेक के बाद हालात और बिगड़े। प्रदेश के औसत से ज्यादा बारिश वाले जिले भी सूखे की दहलीज पर आ गए।
13 जिले सूखे की चपेट में
प्रदेश में एक सप्ताह में प्रदेश भर में बारिश होने के बाद भी स्थिति खराब हो गई है। प्रदेश के 13 जिले सूखे की चपेट में हैं। यहां कम बारिश के कारण लोग परेशान हैं। पीने के पानी से लेकर फसलों तक के लिए पानी नहीं मिल रहा। इंदौर, धार, खरगोन, बड़वानी, हरदा, पन्ना, दमोह, कटनी, जबलपुर, सिवनी, छतरपुर, मंडला और बालाघाट लगातार सूखा झेल रहे हैं।
यहां बारिश से आफत
जबलपुर के रास्ते से प्रदेश में मानूसन ने प्रवेश किया। शुरुआती दौर में ग्वालियर-चंबल में बारिश ने बेरुखी दी, लेकिन इसके बाद हुई बारिश ने यहां तबाही मचा दी। ग्वालियर-चंबल में 50 साल बाद इतनी भीषण बाढ़ आई। भिंड, श्योपुर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, विदिशा, राजगढ़, आगर-मालवा, शाजापुर, उज्जैन, मंदसौर और सिंगरौली में सबसे ज्यादा बारिश हुई है।
यहां खतरे की घंटी
मध्यप्रदेश की राजधानी और होशंगाबाद के अलावा बुंदेलखंड के सागर में अभी सामान्य बारिश का ग्राफ नीचे चला गया है। यही कारण है, यह इलाके ग्रीन जोन में होने के बाद भी खतरे के निशान पर पहुंच गए हैं। भोपाल, होशंगाबाद, झाबुआ, आलीराजपुर, देवास, खंडवा, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, सीहोर, टीकमगढ़, मुरैना, दतिया, सतना, रीवा, अनूपपुर, उमरिया और डिंडौरी में बारिश का ग्राफ सामान्य से काफी नीचे चला गया है। अगर बारिश नहीं होती है, तो यह भी रेड जोन में चले जाएंगे। भोपाल में तो अब तक किसी भी डैम के गेट नहीं खुल पाए हैं। पिछले साल इस सीजन में भदभदा के दो बार गेट खुल चुके थे।
यहां स्थिति कंट्रोल में
प्रदेश के कुछ ही इलाके ऐसे हैं, जहां स्थिति कंट्रोल में है। इनमें मंदसौर, रतलाम, शाजापुर और सीधी हैं। यहां सामान्य से करीब 20त्न तक ज्यादा पानी गिरा है। हालांकि इसके अलावा बैतूल, नीमच, शहडोल और ग्वालियर बॉर्डर पर हैं।