56 में से 27 सदस्यों को ही फ्लैट व दुकानें आवंटित, बेचने के पहले अनुमति भी नहीं ली
उज्जैन। गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं में हुई गड़बड़ी की परतें अब खुलने लगी है। इसमें पाया कि संचालक मंडल ने धांधली की है और आर्थिक अनियमितताओं के साथ में संस्था की जमीन दूसरों को बेच दी। संस्था के पंजीयन क्रमांक 3403 एवं 3404 द्वारा कमला बाई से जमीन कुल राशि 2.80 लाख रुपए में क्रय की थी।
अंकेक्षण ऑडिट टीप में अंकित आक्षेप क्रमांक 10 अनुसार कैशबुक के पेज नंबर-07 में संस्था की जमीन तीन लाख रुपए में प्रदीप गृह निर्माण सहकारी संस्था को विक्रय किया जाना दर्शाया है। जबकि संस्था में उस समय 56 सदस्य थे तथा मात्र 27 सदस्यों को प्रकोष्ठ, दुकानें आवंटित की जा सकी।
जमीन विक्रय के पूर्व आवश्यक विभागीय अनुमति भी नहीं ली गई। जमीन विक्रय से संबंधित दस्तावेजों को अंकेक्षण को अवलोकन भी नहीं करवाया। मामला तिरूपति गृह निर्माण संस्था में हुई अनियमितताओं का है। इसमें सदस्यों ने जिस उद्देश्य के लिए संस्था में अंश क्रय किया था, उसकी पूर्ति नहीं हो सकी।
संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष व वर्तमान संचालक दोषी है। गड़बड़ी को लेकर उपायुक्त सहकारिता मनोजकुमार गुप्ता ने संस्था को नोटिस जारी करते हुए चेताया है कि 10 दिन में अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया तो वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
एफआईआर दर्ज होगी
गृह निर्माण संस्थाओं की जांच में गड़बडिय़ां सामने आई है। आर्थिक अनियमितताएं भी पाई गई है। मामले में कार्रवाई की जा रही है तथा एफआईआर भी दर्ज करवाई जा रही है।
मुकेशकुमार गुप्ता, उपायुक्त सहकारिता
जानकारी अंकेक्षण में नहीं दी
सदस्य क्रमांक 8, 12, 20 व 21 को आवंटन सूची से हटा दिया गया। इसमें आवंटन निरस्ती संबंधी कोई जानकारी अंकेक्षण टीप में नहीं दी गई।
सदस्य क्रमांक 43 को गई रजिस्ट्री को दो साल बाद प्रपत्र 15-2 में दर्शाया गया।
सदस्य क्रमांक 67 सुनील विश्वनाथ मलतारे, सदस्य क्रमांक 68 वर्षा सुनील मलतारे दोनों के नाम से एक रजिस्ट्री होना बताया गया। यानी पति व पत्नी को प्रकोष्ठ का पंजीयन किया गया, जो कि संस्था की उपविधि का स्पष्ट उल्लंघन है।
वित्तीय पत्रकों में टॉवर का किराया, जिसमें 10 साल में इसकी राशि को संस्था की रोकड़ में नहीं दर्शाने से यह स्पष्ट होता है कि संस्था अध्यक्ष ने 2,58,210 रुपए की संस्था को आर्थिक क्षति पहुंचाई है।