पुलिस को आगे की कार्रवाई के लिए पीएम रिपोर्ट का इंतजार
इंदौर। सिलिकान सिटी में रहने वाले सवा तीन साल के मासूम कबीर तिवारी की मौत के मामले में उनके माता-पिता कहना है कि हमें हर हाल में इंसाफ चाहिए। दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई होना चाहिए। उधर, इस मामले में पांच डॉक्टरों की टीम ने कबीर के शव का पोस्टमार्टम तो किया, लेकिन अभी तक उसकी पीएम रिपोर्ट नहीं है। पुलिस को आगे की कार्रवाई के लिए पीएम रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं इस मामले की शिकायत समाज सेवी ने मानव अधिकार आयोग तक की है। उन्होंने हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्ध करने की मांग कठोर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा।
राजेन्द्र नगर थाना क्षेत्र के सिलिकान सिटी में रहने वाले 3 वर्षीय कबीर के पिता सुनील तिवारी ने बताया कि 29 जुलाई को खेलते- खेलते उसने चुंबक निगल लिया था। जब एक्सरे किया गया तो चुंबक गले के निचे अटका हुआ था। उसको निकलाने के लिए हम गुमास्ता नगर स्थित अरिहंत हॉस्पिटल गए । यहां डॉक्टर मयंक जैन मिल,े जिन्होंने कहां कि एंडोस्कोपी के द्वारा इसको निकाल दिया जाएंगा, और यह बहुत नार्मल सा आपरेशन है । इसमें चिडफ़ाड़ नहीं होती है। और आप उसी दिन घर जा सकते हो। लेकिन कबिर को सर्दी-खांसी थी। इसके लिए उन्होंने सलाह दि की। सर्दी- खांसी ठीक हो जाएंगी तब हम आपरेशन करेंगे। इस बीच हम दो बार हॉस्पिट गए तब भी चुंबक वहीं पर था। जब श्निवार को वह स्वस्थ्य हो गया था तो हम पुन: हॉस्पिटल गए। यहां पर एनिस्थिसिया देने वाली डॉ. सोनल निवास्कर ने जांच की और कहां कि बच्चा अब स्वस्थ है अब हम उसकी एंडोस्कोपी कर सकते है। तीन डॉक्टरों की टीम बनी फिर भी लापर्रवाहीइसके बाद सोमवार को तीन डॉक्टर की टीम ने डॉ. मयंक जैन, एनिस्थिसिया देने वाली डॉ. सोनल निवास्कर और बच्चों के डॉक्टर दिलीप गुप्ता ये तीन डॉक्टरों की देखरेख में आपरेशन किया गया। ऑपरेशन करने के बाद उन्होंने चुंबक निकाल दिया और हमें भी दिखाया लेकिन इसके बाद बच्चें को एनआईसीयु में शिफ्ट कर तीनों डॉक्टर लार्पवाही पुवर्क वहां से चले गए।
इन तीनों में से एक भी डॉक्टर ने बच्चे के होश आने तक का इंतजार नहीं किया। आरोप है कि कबीर के आपरेशन के बाद उसकी मॉ को डॉक्टरों द्वरा बोला कि दस मिनट में वह होश में आ जांगा। उसके बाद आप इसे गोद में ले लेना। लेकिन दस मिनट में वह होश में नहीं आया और उसकी बॉडी ठंडी पडऩे लगी। इस दौरान एनआईसीयू में क ोई डॉक्टर नहीं थे। सिर्फ एक कंपाउंडर ही था। जबकि नियम कहता है कि वहां पर बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर या ड्युटी डॉक्टर होना चाहिए। लेकिन यहां कोई नहीं था। इसके बाद कंपाउंडर ने अपने हिसाब से मशिने लगाने लगा और डॉक्टरों को जानकारी दी। पौन घंटे तो कोई एक घंटे बाद पहुंचे डॉक्टरसूचना के बादभी डॉ. मयंक जैन करीब पौन घंटे बाद वहां पर आए और डॉक्टर सोनल भी एक से सवा घंटे बाद वहां पहुंची। वे जब तब आए तबतक हमारे बच्चें की मौत हो चुकी थी। हमारे बच्चे की मौत में पूरी तरह हॉस्पिटल और डॉक्टरों लापरवाही है। इस मामले में हम आखरी सांस तक लड़ेगे।
कबीर की मौत के बाद भी हॉस्पिटल प्रबधंन ने हमें सीधे मौत की जानकारी देने के बजाए बातों में उलझाते हुए घुमाने लगे। हमने जब फोर्स किया तब जाकर कबिर की मौत क ी जानकारी दी। परिवार रो रहा था और वे ऑफर की बात कर रहे थे यहां हामारा पूरा परिवार रो रहा था, बिलख रहा था वहीं एसी स्थिती में भी हॉस्पिटल के हेड वहां आए और हमसे कहां कि आप क्या चाहते है। इस तरह हमें प्रलोभन देने की कोशिश कर रहे थे। हमने कहां कि हमें हमारा बच्चा चाहिए आप दे सकते है क्या तो वे चुप हो गए। जो उन्होंने हरकत की वह पूरी तरह गैर मानवीय है।
इंदौर
मामला तीन साल के मासूम कबीर की मौत का ... हमें हर हाल में चाहिए इंसाफ
- 12 Aug 2021