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उज्जैन

महाकाल ने किया तिल के उबटन से स्नान

  • 15 Jan 2024

राजा स्वरूप में दर्शन दिए; संक्रांति पर शिप्रा-नर्मदा में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
उज्जैन/नर्मदापुरम । मकर संक्रांति पर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल को तिल से बना उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया गया। स्नान-ध्यान के बाद भगवान का भांग, सूखे मेवे से शृंगार कर नए वस्त्र और आभूषण धारण कराए। तिली से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती की।
सोमवार तड़के 3 बजे पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के पश्चात सूर्य का धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश हुआ, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व आज मनाया जा रहा है।
संक्रांति पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने पहुंच रहे हैं। नर्मदापुरम, जबलपुर में भी नर्मदा के घाटों पर लोग स्नान - ध्यान के बाद दान पुण्य कर रहे हैं।
आज संक्रांति का पुण्य काल
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जब संक्रांति का क्रम सायन अथवा रात्रि या अपर रात्रि में हो तो पर्व अगले दिन मनाया जाता है। इस दृष्टिकोण से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल है। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि संक्रांति का पर्व दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। धनु राशि के सूर्य का मकर राशि में परिभ्रमण संक्रांति की स्थिति दर्शाती है। दक्षिण को छोड़ सूर्य उत्तर में प्रवेश करते हैं। वारियान योग की उपस्थिति में परिभ्रमण होने का लाभ राष्ट्र को प्राप्त होगा।
दान से पितरों की कृपा प्राप्त होती है
मकर संक्रांति के पर्व काल पर सामान्यत: चावल, हरी मूंग की दाल की खिचड़ी का दान, पात्र का दान, वस्त्रों का दान, भोजन का दान आदि वस्तुओं का दान अलग-अलग प्रकार से करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है। पितरों के निमित तर्पण करने से, गायों को घास खिलाने से और भिक्षु को भोजन दान करने से मानसिक शांति और कार्य में गति बढ़ती है।