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उज्जैन

महाकाल मंदिर में मिलीं 1000 साल पुरानी मूर्तियां

  • 14 Jul 2021

उज्जैन। बाबा महाकाल मंदिर की विस्तारीकरण खुदाई में 1000 वर्ष पुराने परमार कालीन मंदिर का ढांचा आया सामने। खुदाई में 11 वीं शताब्दी की कई अहम मूर्तियां भी निकलीं। अब मंदिर का पूरा ढांचा साफ़ साफ दिखाई दे रहा है। परमार कालीन वास्तुकला का बेहद खूबसूरत मंदिर अब दिखाई देने लगा है। दरअसल 30 मई को महाकाल मंदिर के अग्रभाग में खुदाई के दौरान मिली माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड की जानकारी जैसे ही संस्कृति विभाग को लगी, उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग भोपाल की एक चार सदस्यीय टीम को उज्जैन महाकाल मंदिर में अवलोकन के लिए भेजा था। उज्जैन पहुंची 4 सदस्य टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरीक्षण किया। टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने कहा था कि 11वीं-12वीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा हुआ है, जो की उत्तर वाले भाग में है। दक्षिण की और चार मीटर नीचे एक दीवार मिली है, जो करीब करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है। आपको बता दे 2020 में भी महाकाल मंदिर में करीब 1000 साल पुराने अवशेष मिले थे। मंदिर के अगर भाग में बन रहे विश्राम भवन के लिए खुदाई के काम के दौरान अवशेष सामने आए थे। जिसके बाद काम को रोका गया था। पुरातत्व विभाग और आर्कियोलॉजी की टीम ने महाकाल मंदिर में आकर अवशेषों को देखा था। संस्कृति मंत्रालय के आदेश पर भोपाल संचनालय पुरातत्व,अभिलेखागार एवं संग्रहालय के 4 सदस्य डॉ. रमेश यादव (पुरातत्वीय अधिकारी), डॉ धुवेंद्र सिंह जोधा (शोध सहायक), योगेश पाल (पर्यवेक्षक) और डॉ. राजेश कुमार आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने भी मंदिर में आकर बारीकी से निरीक्षण किया था। अब डॉ. रमेश यादव और उनकी टीम लगातार मंदिर में निरीक्षण करने आ रही है।
पुरातत्व धरोहर निकल रहीं
महाकाल मंदिर में खुदाई के दौरान एक के बाद एक पुरातत्व धरोहर निकलती जा रही है।जिस जगह पुरातत्व अधिकारियों के निर्देशन में खुदाई चल रही हैं, उस जगह पर पुरातत्व नजरिए से बेहद अहम मूर्तियों का ढेर लग चुका है। पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने बताया कि अभी कहना मुश्किल है की खुदाई में बाहर आया मंदिर किसका था, लेकिन बेहद अहम है। इस पर स्टडी की जाएगी। बहुत सारा काम बाकी अभी बाकी है। मंदिर को एक्सपोज होना अभी शेष है। सभी जमी मूर्तियों का मंदिर के स्ट्रेक्चर का एलाइनमेंट होगा, उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि कार्य पुरातत्व अधिकारियों के मार्ग दर्शन में ही किया जा रहा है। पुरातत्व अवशेष को बचाना है इस कारण कार्य भी धीमे चल रहा है जो मुर्तिया मिली उन्हें पुरातत्व अधिकारियों के निर्देश में ही रखा गया है।