मुंबई। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा चिंता बढ़ाने के लिए काफी है। खबर है कि जनवरी से लेकर अगस्त के बीच 1800 से ज्यादा किसान कर्ज और सरकार की उदासीनता समेत कई कारणों के चलते अपना जीवन खत्म कर चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान सबसे किसानों की मौत अमरावती में हुई है। खास बात है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद जून में भारतीय जनता और एकनाथ शिंदे ने सरकार बनाई थी।
राज्य राहत और पुनर्वास विभाग का डेटा बताता है कि 8 महीनों के दौरान 1875 किसानों ने आत्महत्या की। जबकि, 2021 में इस दौरान कर्ज में दबे 1605 किसानों ने सुसाइड की थी। खास बात है कि एमवीए सरकार की तरफ से चलाई जा रही कर्जमाफी समेत अन्य योजनाओं और मुख्यमंत्री शिंदे की तरफ से किए गए वादों के बाद भी आत्महत्या की संख्या में इजाफा हो रहा है।
महाराष्ट्र में किसानों की सुसाइड की वजह का पता लगाने के लिए कई संगठन और सरकारी एजेंसियां जानकारी जुटा रही हैं। पता लगा है कि उपज की सही कीमत नहीं मिलना, तनाव और परिवार की जिम्मेदारियां, सरकार की उदासीनता, सिंचाई की सही व्यवस्था नहीं होना, कर्ज, सब्सिडी में भ्रष्टाचार और मौसम की मार जैसे कई इसके प्रमुख कारण हैं।
राज्य के अमरावती में 2022 में सबसे ज्यादा 725 किसानों की मौत हुई। जबकि, 2021 में यह संख्या 662 पर थी। इसके बाद औरंगाबाद में आंकड़ा 532 से बढ़कर 661 पर आ गया। नाशिक में बीते साल 201 मौतों के मुकाबले इस बार 252 किसानों ने खुदकुशी की। नागपुर में संख्या 2021 में 199 से बढ़कर 2022 में 225 पर पहुंच गई। अच्छी खबर है कि कोंकण क्षेत्र में बीते दो सालों में किसी किसान ने आत्महत्या का कदम नहीं उठाया।
जनवरी से अगस्त के बीच आत्महत्या करने वाले 1875 किसानों में 981 किसान सरकारी नियमों के अनुसार आर्थिक सहायता के लिए पात्र थे। जबकि, 439 को अपात्र माना गया था। वहीं, 455 किसान स्क्रूटनी यानी मामलों की जांच चल रही थी। फिलहाल, विभाग मृतक के परिजनों को 1 लाख रुपये दे रहा है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान
मुंबई
महाराष्ट्र में 8 महीने में 1875 मौतें, चिंता बढ़ाने के लिए काफी है किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा
- 13 Oct 2022