मैंने अपने ढंग से नवनाथ निर्णित किया है..... इस कलियुग में केवल एक-एक लक्षण हो मैं उसको योगी कहूँगा .....
1....जो भोगी नहीं है.... जिसका काम साधन है ...साध्य नहीं है ....भोग एक छोटा सा उपकरण है.... प्राप्त करना है योग ....
2...जो वियोगी नहीं है.... लगे अकेला ....लेकिन परम तत्व से मिला रहता है..... सत्य से कभी वियोग ना हो..... प्रेम से कभी वियोग ना हो.... करुणा से कभी वियोग ना हो ......
3....जो कुजोगी नहीं है..... सही योगी है ....
4....जो रोगी नहीं है .....जो दुनिया के रोग मिटाता है.... एक भस्म की चुटकी से रोग मिटा देता है .....उसकी ये साधना होती है.... योगी ऐसा कहे कि मुझे 450 डायबिटीज है तो समझना इसमें कुछ घोटाला है ......योगी कहे कि मेरा B .P high है ....तो समझना वहां कुछ गड़बड़ है ......योगी कहे कि मुझे एक महीने तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था ....समझना योगी नहीं है......
शारीरिक रोग हो तो भी चलो.... शरीर स्थूल है ....लेकिन मानसिक रोग तो बिल्कुल नहीं होता.....
5.... योगी कभी ढोंगी नहीं हो सकता ....दंभी नहीं हो सकता.... पाखंडी नहीं हो सकता ....
6...जो सोगी नहीं है...... नित प्रसन्न हो .....नित नया ..... चिढ़चिढ़ करे वो योगी नको .... जिसको किसी प्रकार का शोक नहीं है .......
7.....जो जगत के लिए कभी भी अनुपयोगी नहीं है .....कोई ना कोई रीत में साधु उपयोगी होता है ......
8.....गलत वस्तु के साथ जो सहयोगी नहीं है.... वो योगी है...... दूर रहे...... साथ ना दे गलत को .......
9......जो किसी का प्रतियोगी नहीं है .....किसी के साथ स्पर्धा में नहीं है ......कहाँ जीतना ....कहाँ पहला नंबर आना ?......
2 दिन से रात को बैठे-बैठे सोचता था कि मोरारी बापू तेरी दृष्टि में योगी कौन है ?.... तो मेरा हारमोनियम ऐसे पड़ा था .....और किसीने उंगली दबा दी .....और मेरा ये शुरू हो गया .....जो फिर मैं चूक ना जाऊं इसलिए मैंने नोट किया..... वरना नोट करके बोलने की मेरी आदत नहीं........
।। रामकथा ।। मानस जोगी ।।
आदर सहित साभार - https://chitrakutdhamtalgajarda.org/