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बाबा पंडित

योगिनी एकादशी - अनजाने पापों से मुक्ति का दिन

  • 05 Jul 2021

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का महत्व बताते हुए कहा गया है किइसे करने से अनजाने में किए गए समस्त पापों का नाश होता है इस एकादशी में भगवान नारायण को गंगाजल से स्नान करवाकर, पीत पुष्पों से आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। भोग लगाकर व्रत की कथा सुनी जाती है।
एकादशी कब से कब तक
 एकादशी प्रारंभ 4 जुलाई को सायं 7.57 बजे से 
एकादशी पूर्ण 5 जुलाई को रात्रि 10.32 बजे तक
 व्रत का पारण 6 जुलाई को प्रात: 5.47 से 8.29 बजे तक

योगिनी एकादशी कथा

प्राचीनकाल में कुबेर के यहां हेम नाम का एक माली था। वह प्रतिदिन कुबेर के लिए भगवान शंकर की पूजा के लिए मानसरोवर से फूल लाता था। एक दिन वह अपनी स्त्री के साथ कामोन्मत होकर विहार कर रहा था। इसलिए उसे फूल लाने में देरी हो गई। इस पर कुबेर को क्रोध आ गया और उन्होंने माली को कोढ़ी हो जाने का श्राप दे दिया। कुबेर के श्राप से हेम कोढ़ी हो गया। इस रूप में वह घूमता हुआ मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। मार्कण्डेय ऋषि ने उसे पाप से मुक्ति के लिए योगिनी एकादशी व्रत करने का उपदेश दिया। व्रत के प्रभाव से हेम स्वस्थ हो गया।