सुबह भस्मारती के पहले हुआ विशेष शृंगार, फूलों से सजा मंदिर
आरती में फुलझडिय़ां जलाईं, 56 भोग भी लगा
उज्जैन। उज्जैन में राजाधिराज महाकाल भगवान ने गुरुवार को तड़के दिवाली मनाई। चौदस और अमावस एक ही दिन होने के कारण रूप चौदस को उबटन स्नान भी आज ही सुबह कराया गया। इससे पहले महाकाल को पंचामृत स्नान कराने के बाद आखिरी में शुद्धोदक स्नान कराया गया। विशेष शृंगार के बाद नए वस्त्र पहनाए गए। पुजारी परिवार की महिलाओं ने कपूर आरती की। भस्म आरती के दौरान 5 फुलझडिय़ां भी जलाई गईं। इसके साथ ही राजा महाकाल ने विश्व में सबसे पहले उज्जैन में दिवाली मनाई।
आज शाम को पुजारी परिवार और प्रशासन की ओर से पांच-पांच दीपक महाकाल के सम्मुख रखे जाते हैं और धानी-बताशे का भोग लगाया जाता है। कई श्रद्धालु भी महाकाल मंदिर में दीया लगाने आएंगे।
सुबह हुई भस्मारती के बाद महाकालेश्वर को अन्नकूट में 56 भोग लगाया गया। इसके बाद से ही अन्नकूट महोत्सव भी शुरू हो गया। आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। पूजा की यह पूरी प्रक्रिया पुजारी परिवार की ओर से की जाती है। सभी इंतजाम और खर्च पुजारी परिवार ही उठाते हैं।
ऐसे हुई महाकाल के आज के दिन की शुरुआत
तड़के तीन बजे मंदिर के पट खुलने के बाद पुजारी ने कपूर आरती की। फिर मंदिर की घंटियां बजाने के साथ महाकाल के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू कर दिया गया। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को पंचामृत स्नान के बाद उबटन लगाया। तिल, केसर, चंदन, स्वर्ण व चांदी की भस्म, इत्र सहित कई सुगंधित द्रव्यों से मिलाकर तैयार उबटन पुजारी परिवार की महिलाओं ने ज्योतिर्लिंग पर लगाकर महाकालेश्वर का रूप निखारा।
साल में एक बार ही होता है यह पूजन
पुजारी परिवार की सभी सुहागन महिलाएं यह उबटन पूजा करती हैं। यह पूजा साल में केवल एक बार ही होती हैं। और केवल पुजारी परिवार की महिलाएं ही करती हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को उबटन लगाते समय महामृत्युंजय मंत्र सहित अन्य वैदिक मंत्रों का पाठ किया गया।
इसी दिन कपूर आरती का प्रावधान, फुलझड़ी भी जलाते हैं
भस्मारती के दौरान उबटन लगाने वाली पुजारी परिवार की महिलाएं कपूर आरती करती हैं। यह प्रक्रिया साल में केवल एक ही दिन की जाती है। यूं तो महाकाल की कपूर आरती दिन में दो बार की जाती है, लेकिन दीपावली के दिन महाकाल की कपूर आरती तीन बार की जाती है।
आखिरी में अन्नकूट का भोग
भस्मारती पूरी होने के बाद महाकालेश्वर को अन्नकूट का भोग लगाया। दही-भात सहित 56 पकवान तैयार कर पुजारी परिवार की ओर से महाकाल को भोग लगाया गया। राजा महाकाल को खीर, दाल-बाटी, चावल, रोटी, पूड़ी, कई तरह के नमकीन का भोग भी लगाया जाता है। चार माह तक खाना प्रतिबंधित सब्जियां जैसे मैथी, मूली, बैंगन आदि की सब्जियां भी बनाकर भोग लगाया।
उज्जैन
राजा महाकाल ने सबसे पहले मनाई दिवाली
- 04 Nov 2021