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जयपुर

राजस्थान / मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई नाममात्र

  • 17 Feb 2020

जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कानून लाने की बात करें, लेकिन प्रशासनिक मशीनरी की मिलावटखोरों से मिलीभगत के चलते पिछले एक साल में पकड़े गए मिलावटखोरों के खिलाफ सिर्फ नाममात्र की कार्रवाई हुई है।
राजस्थान विधानसभा में लगे एक सवाल से यह खुलासा हुआ है कि जनवरी 2019 से 5 फरवरी 2020 तक खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत पूरे प्रदेश में 1867 मामले मिलावटी पदार्थों के सामने आए है।
लेकिन इस अवधि में घी, मसाले एवं दुग्‍ध के मिसब्राण्‍ड एवं सबस्‍टैण्‍डर्ड पाये गये 360 प्रकरणों में से 189 प्रकरण खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एवं विनियम 2011 की धारा 51 व 52 के तहत् न्‍याय निर्णयन अधिकारी (एडीएम) के समक्ष प्रस्‍तुत किये गये जा चुके है । वहीं अनसेफ पाये गये 76 प्रकरणों में से 26 प्रकरण एक्‍ट की धारा 59 के तहत् मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के समक्ष प्रस्‍तुत किये जा चुके है। यानी अभी तक एक भी मिलावटखोर को सजा नहीं मिली है और ना ही कोई सख्त कार्रवाई हुई है।
इस तरह जनवरी 2019 से 5 फरवरी 2020 के दौरान दवाईयों के 17 नमूनें मिलावटी श्रेणी में पाये गये।
इस प्रकरणों में भी औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत् कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

अगर राजस्थान विधानसभा में पेश आंकड़ों पर नजर डाले तो जनवरी 2019 से 5 फरवरी 2020 तक जयपुर (प्रथम ) में 208, टोंक में 120, अलवर 96, अजमेर और सिरोही में 80-80, कोटा और जयपुर (द्वितीय ) में 76-76, जोधपुर में 79, नागौर में 60, चूरू में 65, उदयपुर में 55, धौलपुर में 48, भरतपुर में 46, बाड़मेर में 46, सीकर में 53, हनुमानगढ़ में 51, बूंदी में 45, सवाईमाधोपुर में 57, चित्तौड़गढ़ में 49 मामले मिलावटखोरी के दर्ज हुए है। लेकिन कार्रवाई की आंकड़ा देखे, तो इनमें से सिर्फ 360 मामलों में से 189 मामले अदालत में पेश हुए है। इसी तरह अनसेफ पाए गए 76 मामलों में से 26 मामले भी अदालत में विचाराधीन है।