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धार

रेप की सजा काट रहे कैदी की मौत

  • 01 Mar 2023

तंबाकू होने के शक में जेल अफसरों और कैदियों ने बेल्ट-जूतों से पीटा था
धार। 17 दिन पहले सेंट्रल जेल इंदौर से धार जिला‎ जेल शिफ्ट किए गए दुष्कर्म के सजायाफ्ता कैदी‎ की पिटाई से माैत हाे गई। उसे सोमवार शाम काे‎ संदिग्‍ध हालत में जिला अस्पताल लाए थे।‎ डॉक्टरों के मुताबिक यहां लाने से पहले ही कैदी‎ की मौत हो चुकी थी। यह मामला तब सामने‎ आया, जब मंगलवार सुबह परिजन ने पिटाई के‎ आरोप लगाते हुए न्यायिक जांच की मांग कर जेल‎ के बाहर और जिला अस्पताल में हंगामा‎ किया।
परिजन की मांग पर डॉक्टरों के पैनल से‎ पोस्टमॉर्टम कराया गया।‎ पीएम करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि‎ कैदी की पीठ पर चोट के निशान मिले हैं।‎ ब्लड, विसरा समेत कपड़ों काे भी जांच में‎ शामिल कर वीडियोग्राफी कराई है। चार से पांच‎ दिन में रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट हाे‎ जाएगी। जेल प्रशासन ने‎ मजिस्‍ट्रियल जांच कराने की बात कही है।
जेल में मौजूद कैदियों ने भी‎ नारेबाजी करते हुए कार्रवाई की मांग काे लेकर‎ खाना लेने से इनकार कर दिया। इस पूरे मामले‎ पर जेल अधीक्षक का दावा है कि 25 वर्षीय‎ कैदी भेरू पिता बगदीराम जेल के बाथरूम में‎ गिर गया था। उसे संदिग्ध अवस्था में अस्पताल‎ पहुंचाया गया था। उन्होंने यह भी कहा‎ कि जेल में पूछताछ के दौरान स्टाफ के कुछ‎ लोगों द्वारा मारपीट करना भी सामने आया है।‎ जांच की जा रही है।‎
तलाशी लेने पर कुछ नहीं मिला, तो भेरू को खूब पीटा
सूत्रों के अनुसार सोमवार दोपहर किसी ने अफवाह फैलाई कि भेरू के पास तंबाकू है। इसके बाद जेलर श्याम वर्मा,‎ मुख्य चीफ मुकेश सोलंकी भेरू के पास पहुंचे। इन्होंने उसकी तलाशी ली, लेकिन उसके पास से कुछ नहीं मिला।‎ दोनों अफसरों ने तीन कैदियों को आदेश दिए कि इसे मारो। इसके बाद सोलंकी ने पट्टे और लट्‌ठ से और जेलर‎ वर्मा ने अपने जूतों से उसके मुंह पर कई बार मारा। इससे भेरू लहूलुहान हो गया था। तीन कैदियों ने भी‎ भेरू को बेल्ट और लट्‌ठ से पीटा। इसके बाद भेरू की हालत बहुत खराब हो गई। कहानी‎ बनाकर भेरू को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन इससे पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी।‎
11 साल की सजा काट रहा था
हनुमंत्‍याकाग-सरदारपुर‎ निवासी भेरू काे दुष्कर्म के केस में‎ 26 नवंबर 2019 काे 11 साल की‎ सजा सुनाई थी। वह पिछले कुछ‎ सालाें से सेंट्रल जेल में बंद था। 11‎ फरवरी काे ही आईटीआई प्रशिक्षण‎ के लिए धार जिला जेल शिफ्ट‎ किया था। परिजन ने‎ न्यायिक‎ जांच की मांग करते हुए शव काे‎ अस्पताल से लेकर जाने से इनकार‎ कर दिया था। मामला बढ़ता देख प्रशासन‎ की ओर से उच्च स्तरीय जांच का‎ हवाला देकर पीएम कराने का आश्वासन दिया।‎ इसके बाद परिजन ने जिला अस्पताल‎ स्थित पीएम रूम के बाहर भी आधे‎ घंटे से ज्यादा समय तक हंगामा कर‎ नारेबाजी की।‎
जिला जेल में 450 कैदी हैं‎
जिला जेल में महिला और पुरुषों काे मिलाकर‎ 450 कैदी सजा काट रहे हैं। इसमें महिलाओं‎ के साथ 12 से ज्यादा दुधमुंहे और 10 साल से‎ कम उम्र के बच्चे भी हैं।‎‎ सरदारपुर उपजेल में 8 नवंबर 2019 की रात‎ हत्या के विचाराधीन कैदी हीरालाल की माैत हाे‎ गई थी। तब भी परिजन ने हंगामा कर मारपीट‎ के आरोप लगाए थे। न्यायाधीश की मौजूदगी में‎ पीएम कर शव परिजन के सुपुर्द किया था।‎
घटना की होगी मजिस्‍ट्रियल जांच‎
जेल अधीक्षक राजाराम दांगी का कहना है, कैदी बाथरूम के पास गिर गया था, जिसे‎ अस्पताल में मृत घोषित कर दिया। कलेक्टर,‎ न्यायाधीश सहित मानवाधिकार आयोग को घटना‎ से अवगत कराया है। सुबह कैदियों से भी मिलकर‎ घटनाक्रम जाना है। इसमें स्टाफ के कुछ लोगों द्वारा‎ मारपीट करना सामने आया है। प्रकरण की जांच‎ के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।‎
जिसके परिजन रुपए देते हैं, उन‎ कैदियों से काम नहीं करवाते हैं‎
धार‎ जिला जेल के अंदर सजायाफ्ता कैदियों के साथ मारपीट करते‎ हुए कई जुल्म ढाए जाते हैं। इस घटना के बाद भास्कर ने जेल‎ से बाहर आए कैदी से बातचीत कर अंदर की हकीकत जानी। कैदी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि नई‎ आमद हाेने पर पत्थर तुड़वाए जाते हैं। पूरे परिसर की झाड़ू तक‎ लगवाते हुए वहां के गंदे लेटबाथ भी साफ करवाते हैं। यदि‎ काेई कैदी की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है, ताे उसके परिजन‎ से रुपए लेकर काेई काम नहीं करवाते। स्टाफ ऐसे कैदियों की‎ काफी अच्छे से देखभाल करते हुए पूछपरख करता है।‎
तंबाकू व बीड़ी-सिगरेट प्रतिबंधित, फिर भी अंदर मिलते, पकड़ाने पर‎ करते हैं पिटाई
जेल के अंदर तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट काे लेकर‎ प्रतिबंध है। हालांकि, स्टाफ कैदियों के परिजन से रुपए लेकर‎ यह सामग्री आसानी से अंदर तक पहुंचा देते हैं। जाे लाेग रुपए‎ देते हैं, उनके लिए नियम-कानून कुछ नहीं हैं, लेकिन यदि‎ काेई अन्य यह सामग्री का सेवन करते पकड़ा जाए ताे हाथ-पैर‎ पकड़कर चार लाेगाें द्वारा बेल्ट और लट्ठ से जमकर पिटाई की‎ जाती। बेहोश हाेने की स्थिति में छोड़ते हैं। होश में आने के‎ बाद फिर से वैसी ही पिटाई की जाती। खाने के नाम पर भी‎ भेदभाव किया जाता है।‎