इंदौर। कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इस बार दिक्कत यह है कि ज्यादातर मामलों में रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना की पुष्टि नहीं हो रही। पुष्टि के लिए आरटीपीसीआर जांच करवाना पड़ रही है। डाक्टरों के मुताबिक दूसरी लहर के मुकाबले इस बार वायरस लोड बहुत कम है। यही वजह है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना की पुष्टि नहीं हो रही। जब तक व्यक्ति आरटीपीसीआर जांच करवाता है तब तक वह कई लोगों के लिए कोरोना वाहक बन चुका होता है। लैब संचालकों के मुताबिक इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। सामान्य रूप से सीटी वैल्यू 30 से ज्यादा होने पर रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना की पुष्टि नहीं होती।
कोरोना की पुष्टि के लिए दो तरह की जांच होती है। आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट आने में कई-कई घंटे लग जाते हैं जबकि रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट कुछ ही मिनट में मिल जाती है। यही वजह है कि तुरंत रिपोर्ट के लिए लोग रैपिड एंटीजन टेस्ट को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर में यह जांच बेमानी साबित हो रही है। दरअसल बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें रैपिड रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद व्यक्ति संक्रमित मिल रहा है। लैब संचालकों के मुताबिक जांच के लिए लैब पहुंचने वालों में गंभीर लक्षण वाले मरीज बहुत कम हैं। जिन लोगों में गंभीर लक्षण नहीं हैं उनकी रैपिड रिपोर्ट निगेटिव आ रही है।
इंदौर
रैपिड टेस्ट में पकड़ में नहीं आ रहा कोरोना संक्रमण, आरटीपीसीआर कराने पर ही हो रही पुष्टि
- 13 Jan 2022