नौ दिवसीय रामकथा का शोभायात्रा के साथ हुआ शुभारंभ
इंदौर। समुद्र का पानी खारा होता है, लेकिन आकाश के सम्पर्क में आकर वर्षा जल के रूप में मीठा बन जाता है। सज्जनों और श्रेष्ठ लोगों की संगत में आकर हमारा भी चरित्र ऊंचा बन सकता है। रामकथा जहां भी होती है, वहां स्नेह, दया और करुणा की वर्षा अवश्य होती है। रामकथा संस्कृति और संस्करों का पोषण करती है। इसे हम भक्ति, कर्म और ज्ञान का संयोग भी कह सकते हैं, जिस तरह मोबाइल की बेटरी डिस्चार्ज होने पर उसे रिचार्ज करना होता है, उसी तरह रामकथा भी हमारे जीवन की उमंगों को रिचार्ज करती है।
ये दिव्य विचार हैं रामकथा मर्मज्ञ आचार्य डॉ. सुरेश्वरदास रामजी महाराज के, जो उन्होंने सोमवार को बफार्नी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर के शिव-हनुमान मंदिर की साक्षी में सोमवार से प्रारंभ 9 दिवसीय रामकथा के शुभारंभ सत्र में व्यक्त किए। कथा का शुभारंभ शिव-हनुमान मंदिर से बाजे-गाजे के साथ निकली कलश यात्रा से हुआ। मार्ग के लगभग सभी स्थानों पर घर-घर कलश यात्रा का स्वागत किया गया। रामकथा मर्मज्ञ डॉ. सुरेश्वरदास पैदल चल रहे थे। भजन एवं गरबा मंडलियां भी नाचते-गाते हुए चल रही थी। पुन: मंदिर आकर कलश यात्रा का समापन हुआ।
गणेश पूजन, ब्राह्मण पूजन, नवग्रह पूजन के बाद व्यासपीठ पर विराजित होकर डॉ. सुरेश्वरदास ने अयोध्या, संतों, सरयू एवं रामचरित मानस की महत्ता बताते हुए कहा कि रामकथा जीवन को मर्यादित और संस्कारित बनाती है। भगवान राम के चरित्र में कहीं भी दोष नहीं है। इसीलिए उन्हें मयार्दा पुरुषोत्तम कहा गया है।
इंदौर
रामकथा जहां भी होती है, वहां स्नेह, दया और करूणा की वर्षा अवश्य होती है - सुरेश्वरदास
- 02 Jan 2024