(जन्म: 23 सितंबर, 1908, - मृत्यु: 24 अप्रैल, 1974,)
हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक, कवि एवं निबंधकार थे। 'राष्ट्रकवि दिनकर' आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। उनको राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत, क्रांतिपूर्ण संघर्ष की प्रेरणा देने वाली ओजस्वी कविताओं के कारण असीम लोकप्रियता मिली। दिनकर जी ने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। साहित्य के रूप में उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेज़ी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बग़ीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के मन में बस गया, पर शायद इसीलिए वास्तविक जीवन की कठोरताओं का भी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा।
सब हो सकते तुष्ट, एक-सा /सब सुख पा सकते हैं,
चाहें तो पल में धरती को / स्वर्ग बना सकते हैं
‘‘छिपा दिये सब तत्व आवरण /के नीचे ईश्वर ने
संघर्षों से खोज निकाला, / उन्हें उद्यमी नर ने।
‘‘ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में/ मनुज नहीं लाया है;
अपना सुख उसने अपने / भुजबल से ही पाया है।
‘‘प्रकृति नहीं डर कर झुकती है /कभी भाग्य के बल से
सदा हारती वह मनुष्य के, / उद्यम से, श्रम जल से