इंदौर/खंडवा। आकाशवाणी इंदौर के लोकप्रिय प्रोग्राम खेती गृहस्थी में नंदाजी-भेराजी और कान्हा जी के निमाड़ी- मालवी बोली के संवादों से सजे खूब चर्चित हुए प्रोग्राम ने प्रदेश के किसानों का न केवल मनोबल बढ़ाया बल्कि खेती- किसानी के तरीके, प्रबंधन, सूचना- शिक्षा के साथ प्रदेश को सोयाबीन प्रदेश और सफेद सोने (कपास) की खान का तमगा दिलवाने में भी अहम भूमिका निभाई। 1 मई से यह केन्द्र अपने 70 वर्षीय स्वर्णिम अस्तित्व को खोकर, आकाशवाणी भोपाल केन्द्र पर निर्भर होकर रिले केन्द्र रह गया !
56 वर्षीय रेडियो श्रोता संजय पंचोलिया ने बताया कि आकाशवाणी इंदौर केन्द्र से सन् 1979 से जुड़े होकर यहां से प्रसारित कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर पत्रों के जरिए भाग लेते रहे हैं। इंदौर स्टेशन से खुद युववाणी कार्यक्रम में मंजूषा भी पेश किया है।
महान पाश्र्वगायक किशोर कुमार के 13 अक्टूबर 1987 को हुए निधन पर खंडवा में 16 अक्टूबर को होने वाली अंतिम यात्रा के पूर्व 15 अक्टूबर को आकाशवाणी इंदौर की उद्घोषिका देवेंद्र कौर मधू और टीम द्वारा खंडवा निवास पर किशोर दा पर मेरा इंटरव्यू भी रिकॉर्ड किया था, जिसका प्रसारण 16 अक्टूबर 1987 को शाम पाँच बजे युववाणी कार्यक्रम में किया गया था।
सूचना, समाचार के साथ नाट्य (ड्रामा) कार्यक्रमों की प्रस्तुति इस केन्द्र की विशिष्ट पहचान बनी हुई है । यहां के उस दौर के लोकप्रिय उद्घोषक नरेंद्र पंडित, शारदा सायमन, शशिकांत व्यास, देवेंद्र कौर मधु, कमला पांडे, संतोष जोशी, इंदू संतोष, निम्मी माथुर, उदित तिवारी, प्रभु जोशी व इस केन्द्र की देन नामचीन कलाकार स्वतंत्र कुमार ओझा, नरहरि पटेल, कमेंटेटर सुशील दोषी, लोक गायक प्रहलाद सिंह टिपानिया से 43 सालों के लम्बें सफर में अनेक बार आकाशवाणी केन्द्र इंदौर जाकर रूबरू मिले भी हैं। जिनकी स्मृतियाँ मानस पटल पर अंकित होकर आज भी विद्यमान हैं।
प्रदेश में 22 मई 1955 को उद्घाटित इस सबसे पुराने केन्द्र से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को प्रसार भारती के निर्देश पर 1 मई से सीमित कर दिया है। पहले इंदौर केन्द्र महीने में 30 दिन अपने प्रोग्रामों का प्रसारण करता रहा है अब नए क्लेवर में इस केन्द्र के कार्यक्रमों को हफ्ते में सिर्फ मंगलवार को मौका दिया है। याने महीने में 26 दिन मौन! बाकी दिवस प्रोग्राम अन्य केन्द्रों के होकर आकाशवाणी मध्यप्रदेश भोपाल से प्रसारित हो रहे हैं। जिसे इंदौर केन्द्र अनुप्रसारित याने सिर्फ रिले करने लगा है। इस बदलाव से श्रोता जगत में हडकंप मचा हुआ है और विभिन्न माध्यमों से इस केन्द्र की अहमियत को बनाए रखने के लिए कैजुअल कंपीयर, उद्घोषक, सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत साधक, लोक कलाकार एवं केन्द्र के नियमित श्रोता प्रयास कर रहे हैं।
आकाशवाणी आज भी प्रासंगिक है, इसमें आमजन के भाव की आत्मीक अनुभूति की अनुगूंजना होकर अदम्य साहस, योग्यता और अभूतपूर्व क्षमता मौजूद है। बोलियां बचेंगी तो संस्कृति बचेगी। लोक भाषा, लोक बोलियों के उत्थान के लिए लोकहित में निर्णय हो ताकि संस्कृति का संचरण निर्बाध रूप से पोषित, प्रफुल्लीत और प्रस्फुटित होता रहे।
पश्चिम भारत के सबसे बड़े इस केन्द्र को बचाने के लिए निमाड़ के श्रोताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगाई है और पत्र लिखकर निमाड़ी- मालवी बोली, क्षेत्र की कला- संस्कृति व कलाकारों को संरक्षण प्रदान करने, आकाशवाणी इंदौर केन्द्र पर तैयार किये जाने वाले प्रोग्राम व यहां के प्रसारणों को पूर्व की तरह यथावत रखे जाने हेतु मांग की है।
दरअसल रिटायर मेन्ट की कगार पर बैठे इंदौर केन्द्र के जिम्मेदार अधिकारी इस केन्द्र की लोकप्रियता व अहमियत को, उच्च अधिकारियों की बैठक में अपनी बात ठीक से उनके समक्ष रख ही नहीं पाए। जिसका खामियाजा इस केन्द्र से जुड़े तमाम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
200 किलोवाट क्षमता का इंदौर केन्द्र, प्रसार भारती के उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर 1 मई 2022 से यहां के कुछ प्रसारणों को छोड़ आकाशवाणी मध्यप्रदेश याने भोपाल केन्द्र पर निर्भर कर दिए गये।
आकाशवाणी इंदौर केन्द्र के बेहतरीन प्रसारण देश के कोने कोने तक और ऐप पर सीमाएँ लांघकर बिना किसी रूकावट के ध्वनि तरंगों के माध्यम से साफ और स्पष्ट तौर पर आज भी सुनाई दे रहे हैं। 1 मई से लागू तुगलकी बदलाव के फैसले में क्षेत्रीयता का बंधन होकर लिमिट में बाँध दिया है। इंदौर आकाशवाणी खुलने का उद्देश्य रहा है कि क्षेत्रीय लोक, सुगम,क्षेत्रीय बोली, क्षेत्रीय भाषा में उन प्रतिभाओं को मंच दें,जो इस क्षेत्र के लोग हैं। अब निमाड़ी- मालवी बोली के होने वाले इस केन्द्र के कार्यक्रम, गुंगे होकर अपनी आवाज खो रहे हैं! निमाड़- मालवा के सैकड़ों लोक कलाकारों ने अपनी संस्कृति, स्थानीय बोली, तीज- त्योहार, मेले, परंपरा, पहनावा, खानपान, लोक कला, लोक नाट्य, लोक गीतों के माध्यम से इस आकाशवाणी को 70 सालों तक सींचा...पाला- पोसा और बरगद की तरह घना किया। अब यह केन्द्र भोपाल आकाशवाणी पर निर्भर हो गया है। अब कार्यक्रम 50 किलोवाट वाली प्रसारण क्षमता के आकाशवाणी भोपाल पर तैयार होते रहेंगे और आकाशवाणी इंदौर सहित प्राइमरी केन्द्र उन्हें सिर्फ अनुप्रसारित याने रिले करते रहेंगे।
आकाशवाणी, मालवा हाउस इंदौर पर निमाड़ी- मालवी बोली में कार्यक्रम अब कम तैयार होंगे, कार्यक्रम हिंदी में भोपाल आकाशवाणी पर तैयार होंगे, इससे निमाड़- मालवा की संस्कृति की भूमिका अत्यंत सीमित रह जावेगी, वहीं स्थानीय कार्यक्रमों की पहचान भी धीरे धीरे गुम हो जावेगी। इससे कईं लोक कलाकारों एवं नैमित्तिक उद्घोषकों की तो रोजी रोटी ही छिन जावेगी।
इंदौर आकाशवाणी के साथ साथ जबलपुर, रीवा, छतरपुर और ग्वालियर आकाशवाणी केन्द्र भी संकट की मार में शामिल किए जाकर यहाँ के प्रोग्रामों को भी भोपाल आकाशवाणी में समाहित किए गये हैं। मध्यप्रदेश की शान आकाशवाणी मालवा हाउस इंदौर के बिखरते अस्तित्व को बचाए रखने के लिए रेडियो श्रोताओं की विशेष मांग पर निमाड़- मालवा सहित प्रदेश भर के चुने हुए सांसदों, राज्य सभा सदस्यों और कला तथा संस्कृति के संवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भागीरथी प्रयास कर अग्र पंक्ति में शामिल होना चाहिए।
आकाशवाणी इंदौर केन्द्र निमाड़- मालवा की धरोहर है। इसके संरक्षण के लिए में मंत्रालय में भी बात करता हूँ और इंदौर सांसद शंकर लालवानी जी से भी बात करता हूँ।
- ज्ञानेश्वर पाटील सांसद, खंडवा लोकसभा क्षेत्र
इंदौर
रिले केन्द्र बन कर रह गया आकाशवाणी, चालू तो है पर नाम का, निर्भरता भोपाल आकाशवाणी पर
- 14 May 2022