प्रतिदिन दो से तीन केस में काऊंसलिग कर परिवारों को मिलाया जाता ।
इन्दौर। विधिका पति रौनक ने दिनांक २६/८/२१ को वन स्टॉप सेंटर पर आवेदन दिया की अभी अभी शादी हुई है ,मैं ८ माह की गर्भवती हूं, हमारा अंतर्जातीय विवाह हुआ है और मैं भी जॉब करती हूं, मुझे लेने छोड़ने नहीं आते। मेरे पति अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे।मुझे दवाई के लिए पैसा नही दे रहे। वो चाहते थे की इतनी जल्दी हम बच्चे की जिम्मेदारी न लें, और अभी प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कर दें। पर डॉक्टर ने माना किया क्योंकि मैं बहुत ही कमजोर हो गई थी तो मेरे पिता ने भी ऐसा करने से मना किया। तबसे पति कहते हैं की तुम और तुम्हारे पिता का निर्णय है तो तुम ही खर्चा उठाओ। साथ ही मेरे ससुराल वालों ने मुझे अपनाया नही है तो पती चाहते हैं की मेरे पिता अपनी जाती उनके जैसी बता दें तो समाज में बदनामी नही होगी। हम दोनों में बातचीत भी बंद है, मुझे डर है कि हमारा रिश्ता टूट जाएगा मुझे बहुत मानसिक संत्रास हो रहा है।
मैं चाहती हूं की मुझे मदत की जाए और मेरी समस्या का हल निकाला जाए।
तब विधीका के पति रौनक को परामर्श के लिए केंद्र पर बुलाया गया, परामर्श के दौरान ज्ञात हुआ की रौनक को अपने परिवार का कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा है, लॉकडाउन के कारण कॉलेज जहां मैं जॉब करता था छूट गया तो किराया बकाया हो गया। अभी कुछ काम कर रहा हूं पर इतनी आमदनी नही हो पा रही की पुराने कर्ज से भी बाहर आ जाऊं और घर भी ठीक से चला सकूं।परिवार चाहता है की समाज स्वीकार कर ले विवाह को तो वो मुझ पर दबाव बना रहे हैं,मेरे भाई साहब मुझे सलाह दे रहे है, पिता से बात भी नहीं हुई शादी के बाद तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा क्या करूं??
परिवार विधिका को अपनाले तो मुझे हर तरह का सहारा परिवार से मिल जाएगा।
रौनक की समस्या को सुनकर विधिका को भी परामर्श के लिए बुलाया गया और दोनों को संयुक्त परामर्श दिया गया। रौनक को समझाया गया कि ऐसे समय में पत्नी को इमोशनल सपोर्ट की बहुत आवश्यकता होती है, तुम्हारा नाराजी में कहना की तुम्हारा निर्णय है बच्चा पैदा करने का तो तुम देखो, एसी बातें पत्नी को भावनात्मक रूप से तोड़ सकती है, जिसका असर आने वाले बच्चे पर होता है और जीवन भर के लिए समस्या हो सकती है, तुम्हारा कहना मैं हूँ न बहुत बड़ा काम करेगा पत्नी के लिए, तब समस्याओं से रिश्ते में समस्या नहीं आएगी। कुछ परिस्थितियां होती हैं जो समय के साथ बदल जाती हैं।
विधिका ने कहा इन्होंने कभी कहा ही नहीं की मैं हूँ न! रौनक ने कहा यह भी मेरी समस्या कहाँ समझ रही थी, बस आरोप लगा रही थी।
तब दोनों को ही मनुष्य की भावनात्मक आवश्यकता के बारे में बताया गया, आने वाले समय की आर्थिक आवश्यकता,आर्थिक समस्या और दोनों की होने वाली आय को लेकर तालमेल बैठाने की योजना बनाई गई, पत्नी को कहा गया उसके कार्यालयीन समय में १आध घंटे का समय परिवर्तन करने की अनुमति लेने का प्रयास करे, जिससे पति अपने काम से फारिग होकर पत्नी को लेने पहुंच सके।विधिका बोली ये तो हो सकता है। राहुल को समझाया गया कि किसी को भी उसकी पहचान बदलने के लिए दबाव बनाना गलत है, अपराध है, उसके अस्तित्व पर चोट पहुंचाना है, आईन्दा यह न करें। माता-पिता बड़े हैं, आगे रहकर माफी मांगे वो आज नहीं कल अपना लेंगे।
इसी तरह की छोटी छोटी बातें जो रिश्ते में दरार बना रही थी उनका समाधान खोजा गया। दोनों ने माना कि छोटी समस्या बड़ा रूप ले रही थी, जो अब नहीं होगा। दोनों ने प्रशासक डॉ वंचना सिंह परिहार और परामर्शदात्री अल्का फणसे के प्रति आभार व्यक्त किया और दोनों साथ-साथ खुशी खुशी रवाना हुए।
जिला कार्यक्रम अधिकारी: डॉ.सी. एल.पासी
प्रशासन : डॉ. वंचना सिंह परिहार
इंदौर
"रिश्तों को बचाने में सही समय पर परामर्श कारगार होता है... साबित किया वन स्टॉप सेन्टर ने"
- 03 Sep 2021