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बाबा पंडित

रक्षाबंधन के पर्व पर दस प्रकार का स्नान

  • 09 Aug 2022

श्रावण महिने में रक्षाबंधन की पूर्णिमा 11 अगस्त 2022 गुरुवार वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है।
1.  भस्म स्नान – उसके लिए यज्ञ की भस्म थोडीसी लेकर वो ललाट पर थोड़ी शरीर पर लगाकर स्नान किया जाता है। तो पहला भस्म स्नान बताया है।
2. मृत्तिका स्नान 
3. गोमय स्नान – गोमय स्नान माना गौ  गोबर उसमे थोडा गोझरण ये मिक्स हो उसका स्नान (उसका मतलब थोडा ले लिया और शरीर को लगा दिया ) क्यों वेद ने कहा इसलिए गौमाता के गोबर में (देशी गाय के) लक्ष्मी का वास माना गया है। गोमय वसते लक्ष्मी पवित्रा सर्व मंगला। स्नानार्थम सम संस्कृता देवी पापं हर्गो मय।| तो हमारे भीतर भक्तिरूपी लक्ष्मी बढ़ती जाय, बढ़ती जाय जैसे गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास वो हमने थोडा लगाकर स्नान किया, हमारे भीतर भक्तिरूपी संपदा बढती जाय। गीता में जो दैवी लक्षणों के २६ लक्षण बतायें हैं  वो मेरे भीतर बढ़ते जायें। ये तीसरा गोमय स्नान।
4. पंचगव्य स्नान – गौ का गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध के दही, गाय का दूध और घी ये पंचगव्य। कई बार आपको पता है पंचगव्य पीते हैं । तो पंचगव्य स्नान थोड़ा सा ही बन जाये तो बहुत बढियाँ नहीं बने तो गौ का गोबरवाला तो है। माने पाँच तत्व से हमारा शरीर बना हुआ है वो स्वस्थ रहें, पुष्ट रहें, बलवान रहें ताकी सेवा और साधना करते रहे, भक्ति करते रहें।
शेष कल......