नई दिल्ली. टोक्यो के लिए क्वालिफाई करने वाली एकमात्र भारोत्तोलक मीराबाई का रियो ओलंपिक में क्लीन एवं जर्क में तीन में से एक भी प्रयास वैध नहीं हो पाया था, जिससे 48 किग्रा में उनका कुल वजन दर्ज नहीं हो सका था.
पांच साल पहले के इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्होंने वापसी की और 2017 विश्व चैम्पियनशिप में और फिर एक साल बाद राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने आलोचकों को चुप कर दिया. उन्होंने पीठ की परेशानी से भी वापसी की, जिसके कारण वह 2018 में अच्छा नहीं कर सकीं थी.
साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महासंघ के नए वजन वर्ग को शामिल किए जाने के बाद अपने 48 किग्रा वजन को बदलकर 49 किग्रा कर दिया.
मीराबाई का रियो में जिस वजह से निराशाजनक प्रदर्शन रहा था, वही अब उनकी मजबूती बन गई है. 26 साल की इस खिलाड़ी ने लगातार अपने वर्ग में सुधार किया और वह शीर्ष प्रतियोगिताओं में पदक की दावेदार बनी रहीं.
खेल
वेटलिफ्टिंग में मीराबाई लगाएंगी मेडल के लिए जोर

- 19 Jul 2021