भोपाल। प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी भाजपा सरकार ने शुरू कर दी है। एक बार फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए पार्टी के कार्यकर्ता और नेता जुट गए हैं। इसके चलते लोगों से पूछा जा रहा है कि उन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं?
प्रदेश के 52 जिलों में लोगों तक सीधे पहुंचने के लिए 17 सितंबर से मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान शुरू किया गया है। हर जिले में शिविर लगाकर आवेदन लिए जा रहे हैं। इसमें गरीब-मजदूर व एससी-एसटी वर्ग से जुड़ी 38 योजनाएं शामिल की हैं।
आयुष्मान कार्ड बने या नहीं, राशन मिल रहा है या नहीं, घर का किसी सदस्य का नाम कम तो नहीं है। शौचालय व पेंशन के पैसे मिले या नहीं, उद्यमी योजना में बेरोजगारों को ऋण मिला या नहीं, यदि नहीं तो क्यों नहीं... ऐसे आवेदनों की पड़ताल भी की जा रही है।
17 सितंबर से शुरू हुए अभियान में 17 अक्टूबर तक 53 लाख 18 हजार 272 आवेदन प्रदेशभर से मिले हैं। इनमें से 27 लाख 37 हजार 287 आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं, जबकि 26 लाख पांच हजार 999 आवेदन कागजी खानापूर्ति में कमी होने की वजह से अस्वीकृत कर दिए गए।
पहले स्टडी की, फिर शुरू किया अभियान
मुख्यमंत्री ने मई में कलेक्टरों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हर जिले की समीक्षा की थी। बड़वानी जिले की समीक्षा के दौरान उन्हें कलेक्टर शिवराजसिंह वर्मा ने मिशन उम्मीद, अंकुर कार्यक्रम, योजनाओं का हितग्राहियों को शत-प्रतिशत लाभ दिलाने के लिए शुरू किए गए अभियान के बारे में बताया था।
बड़वानी विधायक व मंत्री प्रेमसिंह पटेल और प्रभारी मंत्री हरदीपसिंह डंग ने भी कहा था ये अभियान कारगर साबित हो सकते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अटल बिहारी सुशासन संस्था व राज्य नीति आयोग की टीम से बड़वानी के अभियानों की समीक्षा करवाई गई। उसके बाद इसे प्रदेश में मुख्यमंत्री सेवा अभियान के रूप में शुरू किया गया।
योजनाओं में युवा व बुजुर्गों पर फोकस
38 योजनाओं में युवाओं, बुजुर्गों सहित नि:शक्तों पर फोकस किया गया है। जैसे अटल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्त व विधवा, मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक, समग्र सामाजिक सुरक्षा पेंशन, नि:शक्तजन विवाह-शिक्षा, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति, किसान सम्मान ििनध व क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना।
सत्ता का फॉर्मूला आदिवासी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासी तीर्थ मानगढ़ में एक सभा को संबोधित करेंगे। रैली के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से हजारों आदिवासियों को बुलाया गया है। क्करू का कार्यक्रम सरकारी है, इसलिए तीनों मुख्यमंत्रियों यानी अशोक गहलोत (राजस्थान), शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) और भूपेंद्र भाई पटेल (गुजरात) को भी इसमें बुलाया गया है। इस कार्यक्रम में जिन तीन राज्यों के आदिवासी बुलाए जा रहे हैं, वहां अगले एक से 12 महीने के अंदर चुनाव होने हैं। गुजरात में विधानसभा चुनाव का ऐलान एक-दो दिन में हो सकता है। वहीं, गुजरात से सटे मध्य प्रदेश और राजस्थान में अगले साल यानी 2023 में चुनाव होने हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि तीन राज्यों के चुनाव का आपस में क्या कनेक्शन हो सकता है... दरअसल तीनों ही राज्यों में सत्ता हासिल करने का एक कॉमन फैक्टर है... और वो है आदिवासी वोट। तीनों राज्यों की कुल 652 में से 99 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति यानी स्ञ्ज के लिए रिजर्व हैं। इसके मायने है कि तीनों राज्यों की कुल 16 प्रतिशत सीटों से आदिवासी विधायक ही चुने जाएंगे।
भोपाल
विधानसभा चुनाव की तैयारी, योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं? लोगों से पूछ रहे
- 01 Nov 2022