ग्वालियर। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे प्रदेश को व्यावसायिक परीक्षा मंडल कांड के कारण 93 डॉक्टर कम मिले। इसकी मूल वजह वे छात्र हैं, जो फर्जी तरीके से पीएमटी पास कर भर्ती हुए थे। मामले का खुलासा होने पर ये डिग्री पूरी होने से पहले ही बर्खास्त हो गए। कुछ को दोष सिद्ध होने पर सजा हो चुकी है। कई के केस सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहे हैं। वहीं, 69 डॉक्टरों का भविष्य अभी भी खतरे में है। इन्होंने पढ़ाई तो पूरी कर ली लेकिन इनके मामले अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं।
यदि दोषी पाए गए तो न सिर्फ डिग्री निरस्त होगी बल्कि इन्हें जेल भी जाना पड़ेगा। ये डॉक्टर भी व्यापमं कांड के आरोपियों की सूची में हैं। इस तरह गजराराजा मेडिकल कॉलेज (जीआरएमसी) में ही व्यापमं के कारण 162 डॉक्टर प्रभावित हुए। दैनिक भास्कर ने सूचना के अधिकार में यह जानकारी जीआरएमसी से प्राप्त की। यह पहला मौका है जब कॉलेज द्वारा इकजाई आंकड़े दिए गए हैं। अगर प्रदेश में तत्कालीन 7 मेडिकल कॉलेजों के आंकड़े जोडें तो संख्या सैंकड़ों में पहुंच सकती है।
कोरोना की दूसरी लहर में अखरी डॉक्टरों की कमी
कोरोना संक्रमण के दौरान डॉक्टरों की कमी का अहसास न सिर्फ मरीजों व उनके परिजनों को हुआ बल्कि सरकार को भी इनकी कमी समझ में आई। मरीजों की संख्या बढऩे पर सरकार ने संविदा पर डॉक्टरों की भर्ती के आदेश तो निकाल दिए, लेकिन निर्धारित संख्या के अनुसार डॉक्टर नहीं मिल पाए। स्थिति यह रही कि संक्रमण काल में डॉक्टरों को 20-20 घंटे की ड्यूटी करना पड़ी। बड़ी संख्या में डॉक्टरों के संक्रमित होने के कारण मरीजों का इलाज भी प्रभावित हुआ।
ग्वालियर
व्यापमं कांड के आरोपी छात्रों के कारण एमबीबीएस की 93 सीटें खराब हुई, 69 डॉक्टरों की डिग्री खतरे में
- 12 Feb 2022