हिंदू धर्म में, वट सावित्री व्रत सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत सावित्री से जुड़ी है, जिन्होंने मृत्यु के देवता यमराज के चंगुल से अपने पति सत्यवान की जान बचाई थी। महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। वट सावित्री व्रत आमतौर पर ज्येष्ठ माह में अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
सुबह 04:06 बजे से शुरू हो जाएगा पूजन का शुभ मुहूर्त, यहां देखें वट सावित्री व्रत के चौघड़िया मुहूर्त
हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। 2023 में ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई को रात 9:42 बजे से शुरू होगी और 19 मई को रात 9:22 बजे समाप्त होगी। इसलिए इस साल का वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा। वट सावित्री व्रत आमतौर पर अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन यह पर्व पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और हरियाणा में मनाया जाता है। इसके अलावा ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता है।
जून में भी रखा जाएगा वट सावित्री व्रत
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री व्रत 2023 की शुरुआत 3 जून को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से होगी और अगले दिन 4 जून 2023 को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। वट सावित्री व्रत 2023 शनिवार, 3 जून को मनाया जाएगा।
वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री
वट सावित्री व्रत 2023 पर पूजा करने के लिए, मौसमी फल, तरबूज, गंगाजल, अखंड चावल, रक्षा सूत्र नामक एक पवित्र धागा, फूल, सिंदूर, अगरबत्ती, पूरियां, अगरबत्ती, रोली, मिट्टी का दीपक, सोलह श्रंगार के लिए श्रृंगार सामग्री, पान, सुपारी, नारियल, भीगे हुए चने, पानी का पात्र, बरगद के पेड़ की छाल, कपड़ा, मिठाई, चावल, हल्दी, हल्दी का लेप, और गाय का गोबर आदि की आवश्यकता होती है।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है और यह अपने आप में अत्यधिक लाभकारी है। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती का शुभ संयोग बन रहा है। वट सावित्री व्रत के दिन शश राज योग और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।
वट सावित्री व्रत के दिन बन रहे शुभ योग-
इसके अलावा मेष राशि में चंद्रमा और बृहस्पति गज केसरी योग बनाएंगे। ज्योतिषियों का मानना है कि ऐसा करने से व्रती महिलाओं को विशेष लाभ और भगवान शनि की कृपा प्राप्त होगी। साथ ही इस दिन शोभन योग भी रहेगा जो शाम 6 बजकर 17 मिनट तक रहेगा और इस दौरान पूजा करने से विशेष लाभ मिलने की मान्यता है।
वट सावित्री व्रत कथा
इस व्रत से जुड़ी पारंपरिक मान्यता के अनुसार, बहुत समय पहले सावित्री नाम की एक महिला ने अपनी निष्ठा और भक्ति के कारण देवलोक के देवता यमराज से अपने मृत पति के लिए प्राण वापस लेने में सफल रही थी। इसलिए कहा जाता है कि जो भी महिला वट सावित्री व्रत को उचित नियमों का पालन करके रखती है, वह सुनिश्चित करती है कि उसके पति का जीवन किसी भी परेशानी से प्रभावित न हो, उसका वैवाहिक जीवन लंबा चले, असमय मृत्यु से उसकी रक्षा हो और उसके परिवार को समृद्धि का अनुभव हो। .
साभार लाइव हिन्दुस्तान
बाबा पंडित
वट सावित्री व्रत 19 मई को
- 18 May 2023