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इंदौर

वन  स्टॉप सेंटर ने इस तर्ज पर  बसाया युवती का घर"प्यार का मोल है, पैसे का नहीं, दिल से दिल को मिलाओ, पैसे की धौंस न दिखाओ"

  • 28 Sep 2021

बचपन से प्यार की कमी,कम उम्र मे शादी,फिर पुन शादी ने युवती को बना दिया था विद्रोही।
इन्दौर। कुछ दिन पूर्व शहर के एक जिम्मेदार नागरिक द्वारा वन स्टॉप सेंटर से सम्पर्क कर एक युवती को सेंटर पर भेजा गया था।  युवती का मामला थोड़ा गंभीर था,जिस पर प्रशासक डाॅ. वंचना सिंह परिहार ने पूरी तत्परता दिखाई। और युवती के आधार कार्ड के माध्यम से अन्य जिले के वन स्टॉप सैंटर में संपर्क स्थापित कर पीड़िता की गुमशुदगी की जानकारी प्राप्त की।युवती की जानकारी फोटो के साथ समस्त पुलिस थाने में सर्क्युलेट करवाई गई,,जिससे युवती स्वयं थाने के सम्पर्क में आई एवं इसी बीच युवती के पिता एवं भाई को इंदौर बुला लिया गया था, थाने की औपचारिकताये पूर्ण कर तुरंत ओ एस सी को सेंटर बुलाया गया, उनसे सारी जानकारी ली गई।
युवती से भी बात की गई।युवती अट्ठारह वर्ष की उम्र में शादी हो जानें,,से परिवार से नाराज़ थी। शादी के पहले भी वह खुद को परिवार में  उपेक्षित महसूस किया करती थी। जिससे वह सोशल मीडिया के उपयोग  की आदी हो गई थी, और उसी कारण  कुछ गलतियां उसके द्वारा की गई थी, जिन्हे उसके  भाई व पापा द्वारा  माफ न करते हुए भाई द्वारा दूरी बना ली गई। साथ ही उन्नीस वर्ष की उम्र में मां बन जाना, समृद्ध घर की बहू होने से गांव के तौर तरीकों का सख्ती से पालन, घूंघट में रहना इन सब बातों से युवती परेशान हो गई थी। उसे आज के जमाने वाली बहू बनकर स्वतंत्रता और शहर की जीवन शैली में रहना पसंद था।युवती कॉलेज जाकर पढ़ना व नौकरी करना चाहती थी। ससुराल वालों ने सारी किताबें लाकर दीं,पति ससुर नौकरी के लिए अलग-अलग परिक्षाएं दिलवाने ले जाते रहे, परन्तु वो अपने पति के  साथ बाइक में बैठकर घूमने जाना चाहती थी,, घर के बाहर की दुनिया भी देखना चाहती थी। उसके भी बहुत सारे शौक थे। जो गांव में वह पूरा नहीं कर पाती थी,पति से कहने पर पति के द्वारा गाली गलौज, मारपीट की जाती थी,उसके बच्चे को भी उससे दूर रखा जाता था।क जाता था, कि तुमसे बच्चा नही  सम्हलता। 
इस प्रकार शादी के बाद भी उपेक्षा का शिकार होने से युवती ने पुनः सोशल मीडिया के चक्कर में पड़ टिक टाक पर वीडियो बनाना, रील्स बनाना आदि प्रारंभ कर दी थी। इन बातों के लिए पति ने रोका भी, तो कहा सुनी होती रही और पति ने हाथ उठा दिया।हालांकि पति पत्नी में बहुत प्यार था, लेकिन झगड़े में पति ने कहा दिया तलाक देकर दूसरी शादी कर लूंगा। तुम्हारी औकात ही क्या है, इन बात से आहत होकर युवती अपने डाक्यूमेंट्स, मार्कशीट और दो जोड़ी कपड़े लेकर  घर से इन्दौर भाग आई।प्रशासक डा. वंचना सिंह परिहार के प्रयासो से सारे तार फिर जुड़ गये।
चार दिन तक युवती वन स्टॉप सेंटर के आश्रय में सुरक्षित रही।
डा परिहार एवम् परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे के प्रयास पर सभी पहलुओं पर चर्चा कर, युवती,उसके पिता, भाई, पति सभी की काउंसलिंग की गईं। युवती के मन की।बात भी उजागर हुई, कि  भले ही उन्नीस साल की कच्ची उम्र में माँ बनी थी पर बच्चे की  जिम्मेदारी सम्भाल सकती थी।बच्चे को उसकी दादी ही सम्हालती रहीं, धीरे धीरे बच्चे को पूरी तरह माँ से दूर कर दिया गया इसलिए बच्चे को छोड़कर निकल जाने का परिवार द्वारा लगाया गया आरोप भी बेमानी साबित हुआ।
काउंसलिंग में इतनी जद्दोजहद इसलिए हुई की युवती बालिग थी और किसी भी परिस्थिति में न पिता और न ही पति के घर जाने को राजी थी।
अन्ततः तीन दिन तक घंटों की काउंसलिंग के पश्चात वन स्टाॅप सेन्टर की टीम जिसमें केस वर्कर सुश्री शिवानी श्रीवास एवं सभी कर्मचारी शामिल थे, सारी औपचारिकताएं पूर्ण कर, पिता और भाई की उपस्थिति में युवती को पति के साथ  घर के लिए रवाना किया गया।किसी की जागीर , औरत के प्यार को नही जीत सकती है,, औरत का मन इतना कोमल होता है कि उसको केवल प्यार और समर्पण से ही जीता जा सकता है।इस बात को पुरुष प्रधान समाज को समझना ही होगा।