इंदौर। वन स्टाप सेंटर ने फिर एक परिवार को टूटने से बचा लिया। दरअसल पति अपनी पत्नी पर शक करता था। शक इतना बढ़ गया कि वह पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी अपना नाम देने से मना करने लगा और डीएनए टेस्ट करवाने पर अड़ गया। इसके बाद वन स्टाप सेंटर सखी केंद्र में मामले में शिकायत की, जिसके बाद दोनों में समझौता हुआ।
प्रशासिका वंचना सिंह परिहार ने बताया कि मोनू चौहान ने पिछले दिनों हमारे पास शिकायत की थी कि पति रवि चौहान उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त करता है। इसके कारण वह बहुत ज्यादा परेशान है। रवि उस पर शक भी करता है और सोचता है कि उसके अवैध संबंध हैै। इस कारण वह उसके कार्यस्थल पर जाता और उसके बारे में पूछताछ करता कि मोनू कहां है, क्या काम कर रही है। रवि बात-बात पर ताने देता है। वह यह भी कहता कि मोनू केवल पैसे के लिए उसके साथ रहती है। शक की सीमा इतनी बढ़ चुकी है कि गर्भस्थ शिशु का डीएनए टेस्ट करवाने पर अड़ गया।
परिहार ने बताया कि दोनों के व्यक्तिगत पक्ष सुनने के बाद उन्हें एक साथ बुलाया गया। सामाजिक और कानूनी पहलू से परिवार और दंपती को समझाया। रवि को बताया कि बिना सबूत के पत्नी पर चरित्र शंका भी हिंसा की श्रेणी में आता है। पत्नी को भी वरिष्ठ जनभरण पोषण अधिनियम समझाया कि बुजुर्ग माता-पिता की सेवा करनी भी जरूरी है ,अन्यथा कार्यवाही हो सकती है। बाद में दोनों साथ रहने के लिए तैयार हो गए।
इंदौर
वन स्टाप सेंटर ने परिवार को टूटने से बचाया, दंपति में कराया समझौता, दोनों खुशी-खुशी हुए रवाना
- 27 Dec 2021