लाड़ी -लुगडी प्रथा के तहत हुआ था विवाह
इंदौर। पलासिया क्षेत्र से एक महिला को लावारिस हालत में घूमते देखा गया था,यूँ ही घूमते घूमते जब वह उसी क्षेत्र के निवासी पत्रकार श्री राम राजपूत के बंगले पर पहुंची, उन्होंने युवती से पूछा कौन हो? कहांँ से आई हो ?तब वह उनकी मांँ से काम मांगने लगी और कहा घर नहीं जाना यहीं रहना है।
महिला को देखकर पत्रकार राम राजपूत को शक हुआ कि युवती कही से भागकर आई है।तब उन्होने युवती को वन स्टॉप सेंटर पहुंचाया,यहांँ तत्काल निर्णय से उसे प्रशासक डाॅ. वंचना सिंह परिहार ने आश्रय दिया। प्रथम तो वह कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं थी पर डाॅ. वंचना सिंह परिहार द्वारा दिलासा देने पर बताया की वह घर से भाग आई है। शादी शुदा है पर वापस नहीं जाना चाहती। बातचीत से प्रतीत हुआ की लड़की शायद बालिग नही है। तब डाॅ. परिहार ने उसे रात को शांति से आराम करने के लिए कहा और केन्द्र की केयर टेकर से उसकी जरुरत और खाने पीने का ध्यान रखने के निर्देश दिए।
अगले दिन विधिक मामलों की केस वर्कर सुश्री शिवानी श्रीवास, सोशल वेलफेयर की केस वर्कर सुश्री मोनिका ने डाॅ परिहार के निर्देश अनुसार युवती से बात कर कुछ संपर्क (फोन नंबर) प्राप्त किए, और युवती के परिजनों से संपर्क किया गया।
चूंकि यूवती घर जाना नहीं चाह रही थी और बालिग भी नहीं लग रही थी, ज्यादा संवाद भी नही कर रही थी, तब डाॅ परिहार ने परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे को युवती की काउंसलिंग करने को कहा, युवती ने बताया की मेरा विवाह जबरदस्ती करवाया, फेरे भी नहीं हुए, वरमाला भी नहीं हुई। मुझे मेरी सास गालियां देती है, मेरा पति बंदर जैसा है। राखी पर मायके आई तब भाई ने मारा और कहा ससुराल नहीं जाना चाहती तो निकल जा घर से तो मैंने सोचा निकल कर बताती हूं।
पति ने 200 रुपए दिए थे वही लेकर बस से यहां आ गयी। युवती उदियापुरा के मंगरादेव गांव से थी, परामर्श दात्री ने उसे समझाया की अगर केन्द्र पर नहीं आश्रय मिलता तो सड़क पर तुम्हारे साथ कुछ भी अप्रीय घटना हो सकती थीं, तुम्हें यहां काम तो मिल जायेगा पर रहोगी कहां? क्या अपने घरवालों के बिना अकेले रह पाओगे?
तब उसने बातों को समझते हुए घर जाने की सहमती जताई। इसी दौरान गांव से युवती के माता पिता, गांव के सरपंच, कुछ गांव वाले एवं लडकी का छोटा भाई उसे लेने आ पहूंचे, जिससे युवती थोड़ी विचलित हुई, पूछने पर बताया की सब डाटेंगे, मारेंगे। सरपंच को समझाया गया की यह वन स्टॉप सेंटर पर सुरक्षित थी, आप सुनिश्चित कीजिएगा की कोई उसे प्रताड़ित नही करेगा।
माता पिता से भी परामर्शदात्री ने चर्चा की तब भील समाज में प्रचलित लाड़ी- लुगड़ा प्रथा के अंतर्गत युवती का विवाह होना ज्ञात हुआ जिससे वो आहत थी। भाई , माता पिता को भी समझाया गया की बहन - बेटियों से दुर्व्यवहार नहीं करें। इस तरह एक सामाजिक कुरिती के चलते आहत और व्यथित युवती को मां बाप के साथ वन स्टॉप सेंटर से सकुशल विदा किया गया।