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इंदौर

वन स्टॉप सेंटर महिलाओं के लिये  साबित हुआ वरदान

  • 03 Nov 2021

"वन स्टॉप सेंटर सखी" सच में सखी है :  पति के जुआ खेलने की आदत से परिवार टूटने की कगार पर था, सहेली बनकर रिश्ते को फिर से पिरोया सखी केंद्र ने
इन्दौर। वन स्टॉप सेंटर पर पति से पीड़ित एक पत्नि आवेदन लेकर आई की पति मारपीट करता है, इसलिये मुझे घरेलू हिंसा का केस करना है, मुझे खर्चा पानी भी चाहिए और तलाक भी, मुझे अब इस आदमी के साथ नही रहना।ज्ञात हो की वन स्टॉप सेंटर के पूरे स्टाफ द्वारा केंद्र पर आई किसी भी महिला को निराश नही किया जाता,बल्कि पूरी कोशिश की जाती है कि पीड़िता का परिवार बस जाये।
इसलिये महिला और उसके पति के कथन लिए गए,तथा विधिक मामलों की केस वर्कर सुश्री शिवानी श्रीवास द्वारा घरेलू हिंसा, भरण पोषण का अधिकार, तलाक सभी के कानून और नियम से अवगत करवाया। चूँकिकिसी भी प्रकरण में तीन परामर्श सत्र हुए बिना विधिक कार्यवाही के लिए प्रकरण नही भेजा जाता।
प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार के निर्देश अनुसार दोनो पति पत्नी के साथ दो दो एकल, फिर संयुक्त परामर्श सत्र हुए, तो ज्ञात हुआ की पति 2 वर्ष पहले 4/5 माह तक जुआं खेलने की लत में लिप्त था, जिसके चलते न पत्नी को पैसा दे पाया न‌ बीबी बच्चों को समय।पत्नी ४०दिन से बच्चों के साथ मां के घर रह रही थी। पीड़िता का परिवार सास ससुर के साथ ही रहता था।पीड़िता ने अपनी मां के घर रहकर सिलाई सीखना प्रारंभ किया है। और पति कपड़े की दुकान पर काम करता है।यूं तो दोनो के बीच कोई बहुत बड़ी समस्या नजर नहीं आ रही थी पर कुछ समय पूर्व की घटनाओं के घाव महिला को साल रहे थे,महिला के अनुसार जब कुछ महीनो तक पति जुए जैसी गतिविधि में लिप्त था। तब पति ने मेरा दहेज का फ्रीज बेच दिया, शादी में मिले बर्तन भी बेच दिए। पति से पूछने पर उसने बताया की घर में एक फ्रीज पहले से था, दो रखने की जगह नही थी। परंतु बर्तन तो सारे घर में पलंग पेटी में रखे हैं। पति को तुरंत घर भेजा गया और वो पेटी में रखे बर्तनों का वीडियो बनाकर लेकर आया। तब पत्नी ने हंसकर स्वीकारा की हां ये मेरे ही बरतन हैं। फिर जब परामर्शदात्री ने विस्तृत चर्चा की तब ज्ञात हुआ की छोटी छोटी बातों का दंश पत्नी को परेशान कर रहा था। पति द्वारा समय न देना, तोहफे लाकर न देना, घूमने या कहीं बाहर लेकर न जाना आदि। पूछने पर पति ने बताया की अब वो जुआ तो नही  खेलता लेकिन कभी कभी शराब पीता है।एक समय था जब मैं भटक गया था।
पति की शिकायत थी की पत्नी छोटी छोटी बात में चिक चिक करती है और हर बात में दबाव बनाती है।दोनो को ही परामर्श के दौरान जीवन की छोटी छोटी खुशियों का महत्व समझकर भूतकाल को भूलकर आगे बढ़ना, एक दूसरे को समय देकर, समझकर रिश्ते में प्रेम बनाए रखना समझाया गया।दोनों का समझौता होकर साथ रहना तय हुआ।पति को कहा गया की पत्नी की सिलाई क्लास के लिए जाने में सहायता करे, और उपरांत अगर वो घर से ही सिलाई का काम कर खुद कुछ कमाना चाहती है तो उसे रोकने का तुम्हे कोई अधिकार नहीं, अच्छे मन से सहयोग करे। पत्नी को भी घर में शांति, सौहार्द्र और सहयोग जीवन को सहज बनाने में मददगार होता है समझाया गया।इस तरह क्रोध और तकलीफ में अलग होने का निर्णय बदला और एक परिवार टूटने से बच गया।