रविवार हो या कोई भी दिन, वन स्टॉप सेंटर से कोई निराश होकर नहीं जा सकता। छुट्टी के दिन किसी केस के आने पर स्टाफ के लोग महिलाओं की समस्या को आकर सुलझाते हैं
इन्दौर। वन स्टॉप सेंटर (सखी) पर आने वाली आश्रिताओं और बहुसंख्यक आवेदनों को कोई देखे तो अचंभित हो जाएं, कहीं करुण कहानी और अन्याय, कहीं ना समझी और समाज में बढ़ते स्वतंत्र आचरण की परिणिती स्वरुप उलझते रिश्ते...
ऐसा ही एक मामले को ओएससी पर सुलझाया, प्रशासक डॉ.वंचना सिंह परिहार ने रविवार के दिन केन्द्र पर एक युवती स्वयं पहुंची और आश्रय मांगा, औपचारिकता के उपरांत उसे वहां आश्रय दिया गया।
विधिक मामलों की केस वर्कर द्वारा युवती का कथन लिया गया।एवं सामाजिक न्याय की केस वर्कर सुश्री विनीता सिंह ने उसके मामले को समझा, रात से युवती भूखी थी इसलिए पहले उसे खाना खिलाया गया, उसके उपरांत उससे समस्या को पुछा और उसे समझा।युवती की शिकायत थी की भाई गालियां देता है, माँ भी मुझे नही समझती, मैने गूगल पर ढूंढा आश्रम कहां है , मुझे यहां का पता मिला तब मैं घर छोड़कर, यहां आ गई अब नौकरी करूंगी और घर नही जाऊंगी। इसके लिये इंदौर में ही रहने वाली युवती की माँ और भाई को केंद्र पर बुलाया गया। मां और भाई से चर्चा की तब ज्ञात हुआ की मां ने गार्ड की नौकरी कर बच्चों को बड़ा किया है, युवती का भाई सी ए कर रहा है, युवती भी पढ़ी लिखी है, राजस्थान में तीन वर्ष तक नौकरी करती थी। वहीं किसी लड़के से प्रेम प्रसंग हुआ, फिर लॉक डाउन में नौकरी छूट गई और वह इंदौर में मां,भाई के पास आ गई थी।स्वतंत्रता से रहने की आदत हो जाने से ,भाई और मां के साथ रहना युवती को बंधन लगने लगा था।भाई को युवती द्वारा उसके मित्र से बार बार फोन पर बात करना पसंद नहीं था। इसलिए बहन को टोकता था, समझाता था इसके लिये मां भी समझाती रही की लड़का राजस्थानी है, तुम ब्राम्हण, वो तुम्हे स्वीकार नहीं करेंगे, हालांकि लड़का कहता था की मैं सब से लड़कर इसी से विवाह करूंगा। शनिवार को युवती ने सामने रहने वालों के केला मांगने पर कहा की नहीं है घर में और भाई के लिए बचाकर रखा है,बाहर से आने पर जब ये बात भाई ने सुनी तो जानबूझकर बहन को चिढ़ाने के लिए पड़ोसी को सुनाने के लिए जोर जोर से बोला की अच्छा केला है क्या , तूने ही निकाल के रखा था क्या?बहन धीरे बोलने के इशारा करती रही, भाई उसे चिढ़ाता रहा। और इस बात पर दोनो में झगड़ा ज्यादा बढ़ गया। तब मां ने दोनों को एक एक चांटा लगा दिया। इस बात से युवती इतनी रूष्ट हुई की घर छोड़ने का प्रण ले बैठी और घर से निकल गई। प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार जी ने स्वयं दोनो भाई बहनों की काउंसलिंग की ,और समझाइश दी युवती बोली ये हमेशा गाली देता है, मुझे अब घर नहीं जाना।नौकरी ढूंढूंगी और यहीं रहूंगी,भाई ने कहा मुझे नहीं पता था इसे इतना बुरा लगता है, अब मैं इसे कुछ भी नहीं कहूंगा।
पर युवती समझने को तैयार ही नहीं थी, कह रही थी मैं उस लड़के के पास चली जाऊंगी और हम दोनों शादी कर लेंगे। तब डा परिहार ने उस युवक से भी बात की जो युवती का मित्र था, युवक ने साफ कह दिया की में विवाह तो कर लूंगा पर अभी २-३ वर्ष तक नहीं, और अभी मैं इसकी जिम्मेदारी भी नहीं ले सकता। स्टाफ़ द्वारा फिर युवती को समझाया गया,फिर डा.परिहार ने थोड़ी सख्ती से युवती को समझाया , युवती की मां से भी बात की। युवती को टेली का अच्छा ज्ञान व अनुभव होने से प्रशासक डा वंचना परिहार ने हाथों हाथ युवती को नौकरी दिलवा दी जो सच में वन स्टॉप सेंटर के लिये काबिले तारीफ है।इतनी जद्दो जहद के बाद युवती किसी तरह समझकर भाई और मां के साथ घर जाने के लिये राजी हुई। इस तरह रविवार छुट्टी होने पर भी वन स्टॉप के स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।
बॉक्स-कोई भी परेशान प्रताड़ित महिला कर सकती है संपर्क:-
वन स्टॉप सैंटर (सखी),,
महिला बाल विकास विभाग परिसर,,,
अर्जुन प्याऊ, मुरायी मौहल्ला, छावनी,कमला नेहरू स्कूल के पास,,,इंदौर ,,
लैंडलाइन नंबर ---07314911804
इंदौर
वन स्टॉप सेंटर (सखी) का सराहनीय कार्य, परिवार मिलाने के साथ जागरुकता भी फैलाना, भाई, बहन और मां को मिलाया
- 08 Oct 2021