स्टॉप डैम से पानी रोकने के कारण कम हुई आॅक्सीजन, महापौर बोले- फव्वारे लगाएंगे
उज्जैन। उज्जैन स्थित शिप्रा में सैकड़ों की तादाद में मछलियां मर गई। बुधवार सुबह बड़े पुल के सटे धोबी घाट के आसपास इलाके में बदबू फैल गई। यहां बने स्टॉप डैम को बंद करने के कारण करीब आधा किलोमीटर एरिया में पानी और आॅक्सीजन की कमी हो गई। इस वजह से इतनी बड़ी संख्या में मछलियां तड़प-तड़प कर मर गईं।
शिप्रा नदी के बड़े पुल के समीप धोबी घाट पर सुबह लोगों को मछलियां मरने की सूचना मिली। इसके बाद बड़ी संख्या में लोग मछलियां बीनने पहुंच गए।
धोबी घाट पर काम करने वाले मोहम्मद जाकिर का कहना है कि चक्रतीर्थ घाट के आगे बड़े पुल के पास बने स्टॉप डैम को बंद करने के कारण पानी कम हो गया। इससे आॅक्सीजन भी कम हो गई।
टाटा कंपनी ने रोका था स्टॉप डैम का पानी-
जानकारी के मुताबिक टाटा कंपनी उज्जैन में सीवरेज की लाइन बिछाने का काम कर रही है। कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह शहर में इंदौर की कान्ह नदी से आने वाले गंदी पानी को भी रोके। उसे शिप्रा के रामघाट में नहीं मिलने दे। साथ ही, उज्जैन के निकलने वाले गंदे पानी को भी शहर से बाहर डायवर्ट करे। सीवरेज के काम के लिए कंपनी ने डैम का पानी रोक दिया। इससे आधा किलोमीटर एरिया में पानी का लेवल कम हो गया।
बता दें कि पहले भी शिप्रा नदी में पानी ठहरने और नाले का गंदा पानी मिलने पर मछलियां बड़ी संख्या में मरी हैं।
कान्ह डायवर्शन योजना फ्लॉप
उज्जैन नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रविराय ने कहा कि कान्ह डायवर्शन योजना फ्लॉप हो गई है। वर्तमान में गऊघाट पाले पर जाकर देखें, तो शिप्रा का पानी काला हो चुका है। सोमवती अमावस्या पर गंभीर डैम का पानी डाला गया था।
महापौर बोले- आॅक्सीजन के लिए फव्वारे लगाएंगे
महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि शिप्रा नदी में आॅक्सीजन की कमी के कारण मछलियां मर रही हैं। इसके लिए रामघाट से दत्त अखाड़ा घाट की ओर फव्वारे लगाए जाएंगे। वहीं, नगर निगम पीएचई विभाग के प्रभारी पार्षद प्रकाश शर्मा ने कहा कि कान्ह नदी कर पानी शिप्रा में मिलता है, तो सिंचाई विभाग द्वारा कच्चा बांध बनाया जाता है, जो पानी के बहाव में बह जाता है। इससे शिप्रा का पानी प्रदूषित होता है। मछलियां मरती हैं। कान्ह डायवर्शन के काम चल रहा है। इसमें 4 से 6 महीने लग सकते हैं। स्टॉप डैम पक्का बनाया जाए, जिससे प्रदूषित पानी शिप्रा में नही मिल सके।
एक हजार करोड़ खर्च हुए, शिप्रा स्वच्छ नहीं हुई
हर बार चुनाव के दौरान शिप्रा को साफ स्वच्छ रखने का मुद्दा छाया रहता है। शासन-प्रशासन की ओर से समय-समय पर योजनाओं के माध्यम से करीब एक हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी शिप्रा का प्रदूषण खत्म नहीं हुआ।
उज्जैन
शिप्रा में सैकड़ों मछलियां मरीं, फैली बदबू
- 23 Nov 2023