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बाबा पंडित

श्राद्ध भोज के आठ नियम

  • 06 Oct 2021

एक बात हमेशा ध्यान दें कि जब भी पितरों के नाम पर  ब्राह्मणों भोज कराया जाता है तो कुछ नियम का पालन करना जरूरी होता है। श्राद्ध भोज के आठ नियम हैं और इन नियमों के साथ कार्य करने से पितरों को शांति मिलती है। तो आइए जानें क्या हैं, ये नियम। 
श्राद्ध का भोज करने वाले ब्राह्मण और भोज खिलाने वाले को मौन रूप से भोजन करना चाहिए। यदि किसी को कुछ आवश्यक हो तो वह इशारे से बता सकता है। बोलते हुए भोजन करने वाले ब्राह्मण के जरिये पितरों तक भोजन नहीं पहुंचता है। इसलिए विशेष रूप से यह ध्यान रखना चाहिए।
श्राद्ध भोज की न तो प्रशांसा करनी चाहिए और न ही बुराई। भोजन जैसा बना है उसे प्रसाद की तरह ग्रहण करना चाहिए। यदि नमक या चीनी की कमी हो तो उसे इशारे से मांग कर पूर्ण कर लें, लेकिन कमी बताएं नहीं।
श्राद्ध भोज कराने वालों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह ब्राह्मण के आगे भोजन ले जाता रहे। यह न पूछे की और चाहिए या भोजन कैसा लगा। ऐसा करने से भोजन पर टोक लगती है और वह पितरों तक नहीं जाता ह।
श्राद्ध कर्म के एक दिन पूर्व से ही परिजनों को सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन और रतिक्रिया से दूर रहना चाहिए।
श्राद्ध भोज या तो पलाश के पत्तों में खिलाएं अथवा चांदी या कांसे के बर्तन में खिलाएं। मिट्टी के बर्तन का उपयोग बिलकुल न करें।
श्राद्धकर्म यदि नियमों के साथ किए जाते हैं तो उसका पूर्ण लाभ पितरों को प्राप्त होता है। इसलिए नियमों का विशेष ध्यान रखें।  

अमावस्या पर आहुति प्रयोग
प्रति अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।*
सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
आहुति मंत्र 
१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
-बाबापण्डित (http://www.babapandit.com)