श्राद्ध की 15 तिथियाँ ...मेरे दादा की प्रेरणा से... श्रद्धांजलि देने के 15 स्थान है ....
दिवंगत को ...श्राद्ध करके... तर्पण करके दिवंगत को श्रद्धांजलि देते हैं.....
1...हमारा सद्गुरु ...हमारा बुद्धपुरुष... हमारा साधु ...उसको श्रद्धांजलि दे उसकी आज्ञा मानकर ...उसके वचन पर भरोसा करके...
2... देवताओं को श्रद्धांजलि... यानि जो दिव्य आत्मा है जगत में... वो कोई प्रोफेसर भी हो सकता है ...देव न हो... लेकिन उसकी आत्मा दिव्य हो ...जब वो मिले तब उसके पैर छूने को भूलना नहीं... यही उसकी श्रद्धांजलि है....
3... सदग्रंथ को श्रद्धांजलि... उसका स्वाध्याय करके ...अध्ययन करके... अभ्यास करके ...और सरस्वती कृपा करे तो प्रवचन करके ...मानस का... भागवत का पाठ करो ये उसको श्रद्धांजलि है.... कभी रामायण को हृदय से लगाकर आंख में आंसू आए ये श्रद्धांजलि है ...पाश्चात्य विद्वान गीता को सिर पर रखकर नाचे हैं... ये श्रद्धांजलि है... ये शिरांजलि है ....
4...गौशाला में जाकर गायों को चारा देना ...मैं गाय का दूध पियूँगा ... गाय के घी का उपयोग करूंगा... गाय को कत्लखाने में नहीं जाने दूंगा... ये गाय को दी गई श्रद्धांजलि है... गो यानि इंद्रियां भी... उसको मैं सम्यक चारा दूंगा ...ज्यादा नहीं दूंगा... मेरी इंद्रियों की सेवा करूंगा....
5... अपनी आत्मा को अंजलि... जिसको आत्म रति... आत्म क्रीडा ...आत्मज्ञान ...आत्मबोध कहते हैं....
6... हमारे आसपास कोई महत पुरुष हो ...गांव का सरपंच हो .. शिक्षक हो ...अच्छा प्रोफेसर... अच्छा डॉक्टर... अच्छा ग्राम सेवक... अच्छा किसान ...श्रद्धांजलि देने योग्य है....
7... यज्ञ को श्रद्धांजलि... द्रव्य से अंजलि... घी से अंजलि ...
8...सूर्य को श्रद्धांजलि ...जल से... साहब सूर्य ग्रहण पूरा नहीं हो तब तक गांव के लोग रोटी नहीं खाते....ये अंजलि है सूर्य को... सब वस्तु में दर्भ डाला जाता है... कोई कष्ट में हो तब हम खाएं कैसे ?...सूर्य कष्ट में है ...किसीने उसको पकड़ लिया है ....ये भाव ....
9...राष्ट्र को श्रद्धांजलि ...मेरा भारत है... राष्ट्र को धोखा नहीं देना ये श्रद्धांजलि है ....जहां जन्म हुआ ...जहां कमाने लगे... उस राष्ट्र के विरुद्ध वर्तन नहीं करना ....राष्ट्र को अंजलि दी जाए अपनी ईमानदारी से ....
10...धरती को अंजलि ...ये किसान करता है... धरती को नमन करना... उसमें से क्षमा का गुण लेना ....
11...वनस्पति को श्रद्धांजलि ...तुलसी को ...बिल्व पत्र को... दुर्वा को ...पीपल को जल देना... नीम के वृक्ष को ...वटवृक्ष को ...सभी वृक्षों को अंजलि देना ....
12...मातृ ...पितृ... आचार्य ...अतिथि... इन चारों को प्रणाम करना ये श्रद्धांजलि है....
13... सागर को श्रद्धांजलि ...जल को तीर्थ कहा है... जल की राशि जब प्रवाहित होती है उसको हम नदी कहते हैं ...और तमाम नदियां जिसमें समाती है उसको हम समुद्र कहते हैं जो ईश्वर तत्व है ...सागर का जल लेकर उसको ही चढ़ाना ये उसकी श्रद्धांजलि है ....तबीयत ठीक हो... तकलीफ ना हो... तो स्नान करना ....
डोंगरे बापा कहते कि समुद्र में पूर्णिमा के दिन स्नान करने से पूरे जगत भर की नदियों में स्नान हो जाता है ....क्योंकि पूर्णिमा के दिन सभी तीर्थ समुद्र के किनारे आते हैं ...और उस समय समुद्र में स्नान करने से जगत के सभी तीर्थ में हमने स्नान किया ऐसा माना जाता है .....
14....गुरु ने जो मंत्र दिया हो उसको श्रद्धांजलि... अब मेरी सभी श्रद्धांजलि इस मंत्र में है ....
15....मनुष्य में राजा ये ईश्वर की विभूति है... राष्ट्र के नायक को श्रद्धांजलि....
मानस श्रद्धांजलि
(गुजराती से हिंदी अनुवाद)