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इंदौर

शिवराज सरकार की उदासीनता से बहाल नहीं हो पा रहा पिछड़ा वर्ग का 27 प्रतिशत आरक्षण

  • 20 Jul 2021

संभागायुक्त कार्यालय पर शहर कांग्रेस ने किया प्रदर्शन
इंदौर। मध्यप्रदेश में 52 फीसद से अधिक आबादी पिछड़ी वर्ग की है जिसे दृष्टिगत रखते हुए पूर्ववती कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री कमल नाथ ने पिछड़ी जाति वर्ग के उत्थान हेतु पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाते हुए 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को लेकर अध्यादेश जारी किया गया था। परंतु खुद को पिछड़े किसान का बेटा कहने वाले एवं पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिछड़े वर्ग के साथ कि जा रही अनदेखी से पिछड़े वर्ग में रोष व्याप्त है। उच्च न्यायालय में पिछड़ा वर्ग की और से प्रदेश सरकार द्वारा सही पक्ष नहीं रखे जाने को लेकर भी भाजपा सरकार की पिछड़े वर्ग के प्रति उनके दोहरे चरित्र को दशार्ती है। 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार का निराशाजनक रवैया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
इंदौर शहर कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष राजेश यादव एवं प्रदेश महासचिव नितेश राजौरिया के द्वारा इंदौर संभागायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव राजेश चौकसे, संभागीय प्रवक्ता अमित कुमार चौरसिया, गजेंद्र वर्मा, तेज प्रकाश राणे, संतोष वर्मा के नेतृत्व में अपर आयुक्त को महामहिम राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में मप्र की पूर्व कांग्रेस सरकार ने पिछड़ी आबादी के उत्थान को दृष्टिगत रखते हुए ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार की उदासीनता के चलते उच्च न्यायालय में सही तरीके से पिछड़ा वर्ग का पक्ष नहीं रखा गया।
वर्तमान में 14 प्रतिशत का भी लाभ नहीं
इससे उच्च न्यायालय द्वारा 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े वर्ग को दिए जाने के पूर्वती कमलनाथ सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पिछड़े वर्ग के साथ अपनाया जा रहे दोहरे चरित्र से पिछड़े वर्ग में रोष व्याप्त है वही वर्तमान सरकार में 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी ओबीसी वर्ग को नहीं मिल पा रहा है। जिससे शिवराज सिंह चौहान के प्रति पिछड़ा वर्ग में रोष व्यापत है। ज्ञापन में मांग की गई कि केंद्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में नये सिरे से जातीगत जनगणना करवाई जाए जिससे पिछड़ी जाति के स्पष्ट आकड़े प्रदेश सरकार एवं उच्च न्यायालय के समक्ष रखे जाय। शासकीय विभागों में लाखों पद ओबेसी वर्ग के रिक्त पड़े है जिन्हें भरा जाये साथ ही जब तक प्रदेश सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग को 27 फीसद आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता तब तक नई भर्तियों पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा ओबेसी वर्ग को 27 फीसद आरक्षण के मान से प्राइवेट संस्थानों, शासकीय लीज, कोटा परमिट, सहित अन्य संस्थानों में जहां आरक्षण लागू होता है, राज्य सरकार द्वारा स्थान दिए जाने को लेकर आदेश जारी किये जाएं।