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जबलपुर

शाहजहां की बहू के मकबरे पर वक्फ का हक नहीं

  • 02 Aug 2024

हाईकोर्ट ने कहा- बुरहानपुर की 3 ऐतिहासिक इमारतें वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं हो सकतीं
जबलपुर, (एजेंसी)। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुरहानपुर की 3 ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ बोर्ड का मानने से इनकार कर दिया है। अदालत ने गुरुवार को एक याचिका पर फैसला देते हुए कहा, ह्यये वक्फ बोर्ड की संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकती हैं।ह्ण तीन इमारतों में से एक- शाह शुजा स्मारक मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बेगम बिलकिस की कब्र है।
बुरहानपुर के सैयद रजोद्दिन और सैयद लायक अली की अपील पर मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड ने 2013 में एक आदेश जारी कर इन तीनों इमारतों को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था। आर्कियोलॉजी सर्वे आॅफ इंडिया (एएसआई) ने 2015 में इसके खिलाफ याचिका दायर की। एएसआई ने हाईकोर्ट में बताया कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत इन तीनों इमारतों को प्राचीन और संरक्षित स्मारक की श्रेणी में रखा गया था। वक्फ बोर्ड इन्हें अपनी संपत्ति नहीं मान सकता।
2015 में मिला था आदेश पर स्टे
हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए वक्फ बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा, ह्यशाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और किले में स्थित बीवी साहब की मस्जिद प्राचीन और संरक्षित इमारत हैं। तीनों इमारत वक्फ बोर्ड अपने अधीन नहीं कर सकता।ह्ण 2015 में जब हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी, तब वक्फ बोर्ड के आदेश पर एएसआई को स्टे मिला था।
वक्फ बोर्ड ने एएसआई को पजेशन छोड़ने के आदेश दिए थे
अधिवक्ता कौशलेंद्र पेठीया ने बताया, ह्य2013 में एमपी वक्फ बोर्ड ने एएसआई को आदेश दिया कि आप अपना पजेशन इमारतों से खत्म करिए। पजेशन सैयद रजोद्दिन और सैयद लायक अली को दे दीजिए। इस आॅर्डर को रिट पिटीशन में चुनौती दी गई। तब जस्टिस आरएस झा ने इस आॅर्डर पर स्टे दिया। अब जस्टिस जीएस अहलूवालिया फैसला दिया है।