शनि 17 जून 2023 से वक्री हो गए है। वक्री होने के 3 दिन पहले से शनि का प्रभाव प्रारंभ हो जाता है और वक्रत्व काल समाप्त होने के 3 दिन बाद तक प्रभाव रहता है। शनि के बारे में अब तक यही माना जाता है कि वे कर्मफल दाता हैं और न्यायाधिपति कहलाते हैं लेकिन शनि का दूसरा पक्ष यह है कि वे जब-जब वक्री होते हैं तब-तब सबसे पहले जातकों के रिश्तों को प्रभावित करते हैं। शनि जातकों के मस्तिष्क और बुद्धि को प्रभावित करके सबसे पहले उन चीजों, लोगों, वस्तुओं से दूर करते हैं जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय होती है। चाहे वह कोई प्रियजन हो, कोई प्रिय वस्तु हो, कोई प्रिय पदार्थ हो, कोई प्रिय शहर, प्रिय नौकरी, प्रिय बिजनेस, प्रिय पशु-पक्षी ही क्यों न हों, शनि कुछ ऐसा चक्र रचते हैं कि मनुष्य से उनकी सर्वाधिक प्रिय वस्तुएं दूर हो जाती हैं। शनि यह सब अपनी न्याय प्रक्रिया के तहत करते हैं, ताकि मनुष्य मजबूत बनकर, एकांत में रहकर अपनी छूट चुकी वस्तुओं का महत्व समझ सके।
शनि 17 जून से 4 नवंबर तक वक्री रहेंगे। इन 140 दिनों में अनेक राशियों के जातकों के रिश्ते खराब होंगे, रिश्तों से भटकाव होगा, यह इसलिए होगा ताकि मनुष्य उन रिश्तों की सच्चाई समझ सकें, अपनों-परायों का भेद कर सके और आगामी जीवन में उन रिश्तों को सहेजने के प्रति सजग हो सके। इसलिए यदि शनि के इस वक्रत्व काल में आपका कोई रिश्ता छूट रहा है तो निश्चिंत रहें, धैर्य रखें, संयम रखें, वो रिश्ता आपके जीवन में पुन: नई ऊर्जा, नई उम्मीदों, नए सपनों के साथ आएगा।
किन पर प्रभाव ज्यादा
कुंभ राशि में गोचर कर रहे शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ और मीन राशि पर चल रही है।
कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि का लघु कल्याणी ढैया चल रहा है। इन पर प्रभाव अधिक रहेगा।