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अशोकनगर

शव जलाने के लिए वेटिंग

  • 07 Jan 2022

अशोकनगर।  अशोकनगर में एक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार बारिश के कारण घंटों तक नहीं किया जा सका। बारिश नहीं रुकी तो युवाओं ने खेत में टीन शेड बनाया। इसके बाद बुजुर्ग को मुखाग्नि दी जा सकी। मामला जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर पलकाटोरी गांव का है। यहां गुरुवार सुबह 80 साल के भोगीराम कुशवाहा का निधन हो गया। गांव में सुबह से ही बारिश हो रही थी। ऐसे में परिजन और परिचित घर पर शव रखकर बारिश रुकने का इंतजार करते रहे। घंटों बाद भी बारिश नहीं रुकी तो उन्होंने मजबूरी में खेत पर अस्थायी मुक्तिधाम बनाया। इसके बाद अंतिम संस्कार किया जा सका। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद यहां मुक्तिधाम नहीं होने पर शासन-प्रशासन ने अपने तर्क भी दिए हैं। जिला पंचायत सीईओ ने तहसीलदार से कहा कि गांव में जल्द मुक्तिधाम बनाया जाए।
भोगीराम का निधन गुरुवार अलसुबह हो गया था। लगातार बारिश होने से वृद्ध के परिजन और गांव वाले चिंतित हो गए। घंटों इंतजार के बाद कुछ युवाओं ने अस्थायी मुक्तिधाम बनाने की बात कही। क्योंकि, बारिश के बीच खुले में शव को जला पाना संभव नहीं था। इसके बाद सभी युवा खेत किनारे पहुंचे और अस्थायी मुक्तिधाम बनाना शुरू किया। युवाओं ने गड्?ढे खोदकर बल्लियां खड़ी की। इसके ऊपर टीन की चादरों से शेड बनाया। हालांकि, बारिश के कारण खेत तक शव को लेकर जाना भी आसान नहीं था, लोग कीचड़ में नंगे पैर चले, तब जाकर वृद्ध का अंतिम संस्कार किया जा सका।
विवाद के कारण नहीं बना मुक्तिधाम
गांववालों का कहना है कि जिले में कई जगह मुक्तिधाम तो हैं, लेकिन उनकी हालत दयनीय है। कई जगह तो विवाद के कारण मुक्तिधाम बन ही नहीं पाए। हमारे गांव में भी मुक्तिधाम नहीं बनने से बुजुर्ग के अंतिम संस्कार में काफी परेशानी आई। हमने अस्थायी मुक्तिधाम तैयार किया। पहले चार लकडिय़ों को खड़ा किया गया। इसके बाद टीन की चादरों से शेड बनाया।
मुक्तिधाम की जमीन पर कब्जा है
जिला पंचायत सीईओ बीएस जाटव का कहना है कि मुक्तिधाम के लिए राशि स्वीकृत कर दी गई थी। काम भी शुरू हो गया था। मैंने सीईओ जनपद अशोकनगर से अभी बात की है। मुक्तिधाम के लिए गड्?ढे खोदे जा चुके थे, लेकिन जिस भूमि पर मुक्तिधाम बनना है, उस पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। इससे विवाद की स्थिति बनी तो काम आगे नहीं बढ़ सका। मैंने जनपद सीईओ और तहसीलदार से कहा है कि लोगों का कब्जा हटाकर वहां मुक्तिधाम बनाया जाए। जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।
 तिरपाल के नीचे किया अंतिम संस्कार
उधर, दतिया से 6 किमी दूर मकोनी गांव में भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। यहां पूर्व सरपंच की पत्नी की बुधवार-गुरुवार की रात में मौत हो गई। सुबह से हो रही बारिश के कारण पहले तो इंतजार किया, जब बारिश नहीं रुकी तो भीगते हुए अंतिम यात्रा निकाली गई। उनके शव को तिरपाल तानकर मुखाग्नि दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत राजापुर के खैरी मकोनी गांव में मुक्तिधाम नहीं होने से निजी जमीन पर अंतिम संस्कार करते हैं।