पिछले दिनों शहर की सकारा का चुनाव और गठन हुआ... चुनावी जंग में तो एक दूसरे पर स्तरहिल संवाद का वातावरण रहता ही है... दलगत आरोप-प्रत्यारोप का चलन हो गया है...वही छींटाकशी में कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता है... बढ़-चढ़कर प्रदर्शन किया जाता है... जोर-जोर से बोला जाता है.. गलत को सच करार दिए जाने के... भरसक प्रयास किए जाते हैं...।
लेकिन मेरी मान्यता है कि... निर्वाचन के उपरांत यह सब बातें भूल कर...शहर हित की योजना बनाना...और जनहित के मुद्दों पर... एकमत होकर ...दलगत राजनीति से ऊपर उठकर... कार्य करना चाहिए...क्योंकि एक पार्षद हो, विधायक हो या फिर वह सांसद हो ...निर्वाचन के उपरांत जनता का प्रतिनिधि होता है ...खैर बात मुद्दे की यह है कि... गत दिवस इंदौर स्थानीय सरकार... यानी कि नगर निगम परिषद का आयोजन था...उसमें जो हगामा हुआ... चिंतन करने वालों को यह एहसास हुआ कि... शहर के मतदाताओं ने अपने प्रतिनिधि के रूप में...पार्षद के रूप में सही निर्णय शायद नहीं लिया है...एक पार्षद के बोलने की कोई मर्यादा नहीं है...कोई सीमा नहीं है... या नहीं होना चाहिए...? क्योंकि इस नगर निगम के आयोजन में... स्तरहीन संवाद का... बोलबाला रहा...एक दूसरे पर हल्की भाषा की...टिप्पणियां करना...अशोभनीय कार्य देखने को मिला... क्या पक्ष या विपक्ष... किसी के पास ना मान... ना सम्मान जनक भाषा थी... क्यों... क्यों... यह भूल जाते हैं वे कि... उन्हें जनता ने अपना प्रतिनिधि... शहर हित के लिए... आमजन की परेशानी के समाधान के लिए चुना है...ना कि दलगत गंदगी फैलाने के लिए...। खुद पार्षद विचारों की गंदगी फैलाएंगे... तो शहर का पूरे देश में... छह बार नंबर वन आना भी व्यर्थ ही नजर आएगा...!
मेरा सभी पार्षदों को हीनहीं...सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों से...आग्रह है कि... भाषा को संयमित रखें...तो ही उनका चयन सार्थक होगा...अन्यथा उनकी आवाज... उनके आचरण और व्यवहार को... प्रदर्शित करैगी...। नगर परिषद नगर निगम के आयोजन में.. पार्षदों का व्यवहार अशोभनीय था... उनकी आवाज कर्कश थी...?
एल एन उग्र
बात मुद्दे की
शहर के नुमाइंदों की कर्कश आवाज...?
- 07 Dec 2022