(जन्म: 26 जून, 1918 - मृत्यु: 11 जुलाई, 2011) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक हैं। इन्हें यह सम्मान सन् 1948 में मिला था। राघोबा राणे का जन्म 26 जून 1918 को धारवाड़ ज़िले के हवेली गाँव में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा, पिता के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण (ट्रांसफ़र) के कारण बिखरी-बिखरी सी हुई। तभी 1930 में असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ जिससे राघोबा राणे बेहद प्रभावित हुए और ऐसा लगा कि वह इस आन्दोलन में सब कुछ छोड़कर कूद पड़ेंगे। लेकिन इस स्थिति के आने के पहले ही इनके पिता अपने परिवार सहित अपने पैतृक गाँव चेंडिया आ गए। 1940 में दूसरा विश्व युद्ध तेज़ी पर था। राघोबा के भीतर भी कुछ जोश भरा जीवन जीने की चाह थी तो उन्होंने भारतीय सेना में जाने का मन बनाया। उनकी इच्छा रंग लाई और 10 जुलाई 1940 को वह बॉम्बे इंजीनियर्स में आ गए। वहाँ इनके उत्साह और दक्षता ने इनके लिए बेहतर मौक़े पैदा किए। यह अपने बैच के 'सर्वोत्तम रिक्रूट' चुने गए। इस पर इन्हें पदोन्नत करके नायक बना दिया गया तथा इन्हें कमांडेंट की छड़ी प्रदान की गई। ट्रेनिंग के बाद राघोबा 26 इंफेंट्री डिवीजन की 28 फील्ड कम्पनी में आ गए। यह कम्पनी बर्मा में जापानियों से लड़ रही थी। बर्मा से लौटते समय राघोषा राणे को दो टुकड़ियों के साथ ही रोक लिया गया और उन्हें यह काम सौंपा गया कि वह बुथिडांग में दुश्मन के गोला बारूद के जखीरे को नष्ट करें और उनकी गाड़ियों को बरबाद कर दें। राघोबा और उनके साथी इस काम को करने में कामयाब हो गए। योजना थी कि इसके बार नेवी के जहाज इन्हें लेकर आगे जाएंगे। दुर्भाग्य से यह योजना सफल नहीं हो पाई और उन लोगों को नदी खुद पार करनी पड़ी। यह एक जोखिम भरा काम था क्योंकि उस नदी पर जापान की जबरदस्त गश्त और चौकसी लगी हुई थी। इसके बावजूद राघोबा और उनके साथी, जापानी दुश्मनों की नज़र से बचते हुए उनको मात देते हुए इस पार आए और इन लोगों ने बाहरी बाज़ार में अपने डिवीजन के पास अपनी हाजिरी दर्ज की। यह एक बेहद हिम्मत तथा सूझबूझ का काम था, जिसके लिए इन्हें तुरंत हवलदार बना दिया गया।
व्यक्तित्व विशेष
सेकेंड लेफ़्टिनेंट रामा राघोबा राणे
- 26 Jun 2023