इंदौर। आरएसएस के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत ने दो दिन की इंदौर यात्रा के दौरान सत्ता, संगठन और पार्टी की भविष्य की संभावनाओं के बारे में बहुत कुछ जान लिया। उन्होंने किसी सार्वजनिक या राजनीतिक कार्यक्रम में तो भाग नहीं लिया, पर वे जिनसे भी मिले, उनसे बातचीत में बहुत कुछ समझा। वे न तो किसी भाजपा नेता से सार्वजनिक रूप से मिले और न ही मीडिया से। जिन लोगों से मुलाकात की, उनसे भी संघ की चैनल के जरिए ही मिले।
मंगलवार को उन्होंने युवा उद्योगपतियों और संघ के कुछ पदाधिकारियों से चर्चा की और बुधवार को शिक्षाविदों और गणमान्य नागरिकों से चर्चा की। उन्होंने देश की शिक्षा नीति के बारे में चुनिंदा शिक्षाविदों से लम्बी बातचीत की। इसके अलावा शहर के कुछ गणमान्य नागरिकों से देश, समाज के बारे में बात की। मालवा अंचल को संघ का प्रमुख शहर और मजबूत गढ़ माना जाता है। इसलिए उनकी इस यात्रा को गंभीर माना जा रहा है। रामबाग स्थित संघ कार्यालय पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। कोरोना के कारण उनका शहर में कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं रखा गया। डॉ. भागवत का पहला दिन युवा उद्यमियों से बातचीत में बीता। उनसे चर्चा में पूछा गया कि वे कारोबार में सफल होने के बाद देश और समाज के लिए क्या करने का विचार कर रहे हैं। शहर के कुछ ऐसे युवा उद्योगपतियों से भी बातचीत की, जिन्होंने स्टार्टअप से सफलता पाई है।
भागवत ने उनसे आयडिया और उसे आगे बढ़ाने के बारे में भी चर्चा की। उनकी सफलता की कहानियां सुनी और समाज के प्रति उनके विचार जाने। कुछ युवाओं ने उन्हें पर्यावरण सुधार, समाज व शिक्षा के लिए किए कार्यों की भी जानकारी दी। इसके बाद वे कुछ समाजों के प्रमुखों से भी मिले।
संघ के कुछ स्थानीय पदाधिकारियों से भी डॉ. भागवत ने अलग-अलग बातचीत की। उनसे मिलने-जुलने वालों का सिलसिला पूरे दिन चलता रहा। आरएसएस के एक स्थानीय पदाधिकारी ने बताया कि कोविड-19 से बचाव के लिए जारी सरकारी दिशा-निदेर्शों के कारण इस दौरे में भागवत का न तो कोई सार्वजनिक कार्यक्रम रखा गया और न वे किसी बड़ी बैठक में शामिल हुए। उन्होंने पहले दिन सत्ता और संगठन का फीडबैक भी लिया। उन्होंने इस दौरान बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात की। दोनों दिनों में उनका कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं रखा गया। न कोई बड़ी बैठक रखी गई। लेकिन, वे 8 से 10 लोगों की टोली के रूप में शिक्षाविदों और बुद्धिजीवी लोगों और उद्योगपतियों से मिले।
ज्ञानेंद्र और मोनिका से भी मिले
डॉ भागवत ने साइन लैंग्वेज को भाषा का दर्जा दिलाने की पहल करने वाले ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित से भी मुलाकात की। हाल ही में साइन लैंग्वेज को भाषा का दर्जा दिया गया, जिसका फायदा देश के करोड़ों दिव्यांगों को मिला है। पुरोहित दंपत्ति दिव्यांगों के लिए एक संस्था चलाते हैं।
इंदौर
संघ की चैनल के जरिए ही भागवत ने की मुलाकात, उद्योगपतियों के बाद शिक्षाविद और गणमान्य नागरिकों से की चर्चा
- 23 Sep 2021