Highlights

इंदौर

स्नातक पाठ्यक्रम में बीएससी की स्थिति खराब, 12 फीसद सीटें खाली

  • 20 Oct 2023

इंदौर। प्रदेशभर के कालेजों से संचालित पाठ्यक्रम में प्रवेश को लेकर प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। पहली मर्तबा स्नातक-स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए साढ़े तीन महीने प्रवेश प्रक्रिया की गई। काउंसिलिंग के आठ चरण होने के बावजूद कई पाठ्यक्रम की सीटें खाली है, जिसमें बीएससी को लेकर स्थिति काफी खराब है। सरकारी और निजी कालेज से संचालित विभिन्न बीएससी पाठ्यक्रम की 12 फीसद सीटें खाली है।
जबकि बीए पाठ्यक्रम की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ गई है। कारण यह है कि इन दिनों 12वीं पास करने के बाद ज्यादातर छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटे है। ऐसे में विद्यार्थियों ने बीए से स्नातक की पढ़ाई करना उचित समझा है। जबकि बीकाम की स्थिति पहले की तरह बनी है। 5-7 फीसद ही सीटों पर प्रवेश होना बाकी है।
प्रदेशभर के 1340 सरकारी और निजी कालेजों में 6 लाख स्नातक और 3 लाख स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की सीटें हैं। 25 जून से प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें बीए, बीकाम, बीएससी, एमए, एमकाम, एमएससी सहित 30 से ज्यादा कोर्स शामिल थे। पहले तीन चरण आनलाइन काउंसिलिंग करवाई गई।
बाकी पांच चरण कालेज लेवल काउंसिलिंग (सीएलसी) के माध्यम से सीटों पर भरा गया। 2023-24 सत्र में ज्यादातर जिलों में चार से पांच सरकारी कालेज शुरू हुए। यहां बीए-बीकाम की सीटें सर्वाधिक है। खजराना, नंदानगर और सांवेर में नए सरकारी कालेज में विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। जबकि कई कालेजों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की मंजूरी और सीटें बढ़ाई गई। इस क्रम में राऊ स्थित सरकारी कालेज भी शामिल है।
12वीं पास विद्यार्थियों की अधिक रूचि बीकाम और बीए में नजर आई, क्योंकि अधिकांश छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते है। इन्होंने सरकारी कालेज में प्रवेश को प्राथमिकता दी है। वैसे बीएससी करने वालों की संख्या दो साल से घट गई है। जानकारों के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अंतर्गत पाठ्यक्रम में मुख्य, मेजर-माइनर, वोकेशनल विषय विद्यार्थियों को पढ़ना पड़ते है।
12 हजार पर प्रवेश नहीं
प्रदेशभर में बीससी पाठ्यक्रम की करीब एक लाख सीटें है, जिसमें 11-12 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश नहीं हुआ है। अकेले इंदौर संभाग में सरकारी और निजी कालेजों में बीएससी की 3-4 हजार सीटों खाली है। अगले सत्र में बीएससी पाठ्यक्रम कई कालेजों ने बंद करने का फैसला लिया है।
बीबीए-बीसीए में बढ़े प्रवेश
एनईपी आने के बाद बीबीए-बीसीए पाठ्यक्रम में सेमेस्टर प्रणाली खत्म हो गई है। ये भी बाकी पाठ्यक्रम की तरह वार्षिक प्रणाली से जुड़ गए है। इसके चलते बीबीए-बीसीए करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पहले जहां देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दायरे में आने वाले 40 कालेज में दोनों पाठ्यक्रम पढ़ाएं जाते थे, लेकिन दो साल में कालेजों की संख्या 70 पहुंच गई है। इन पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष की 20 हजार सीटें हो चुकी है।
कम हुई हैं सीटें
पूर्व कुलपति डा. नरेंद्र धाकड़ ने बताया कि कालेजों में बीएससी को लेकर सीटें कम हुई है, क्योंकि कोर्स की तरफ विद्यार्थियों की रूचि कम हुई है। इसके बजाए बीबीए-बीसीए में विद्यार्थी पढ़ाई करना पसंद कर रहे है। वे बताते है कि विद्यार्थी का लक्ष्य भविष्य सवारने पर अधिक है। इसके चलते सरकारी नौकरी के लिए स्नातक के साथ ही विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं।