नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 सितंबर) को कहा कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है। किसी के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने गुजरात सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने एक घर गिराने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। सितंबर में यह दूसरा मौका है, जब SC ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जाहिर की है। इससे पहले 2 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि किसी केस में व्यक्ति दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। दरअसल, गुजरात में नगरपालिका की तरफ से एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई थी। याचिकाकर्ता गुजरात के खेड़ा जिले के कठलाल में एक जमीन का सह-मालिक है। उनके खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक मामले में FIR दर्ज की गई थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, FIR दर्ज होने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने उसके घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी। उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आरोपी के परिवार की तीन पीढ़ियां लगभग दो दशकों से उस घर में रह रही हैं। याचिकाकर्ता की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिए कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ऐसी धमकियों को कोर्ट नजरअंदाज नहीं कर सकता।
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