Highlights

विविध क्षेत्र

सुप्रिया वर्मा ऐसे बनीं वैज्ञानिक

  • 08 Sep 2023

चांद पर पहुंचकर भारत दुनिया में रूस, अमेरिका व चीन के बाद चौथा देश बन गया। वहीं, चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना है। कामयाबी के इस जश्न में आज भी भारत झूम रहा है। भारत इसे बनाने वाली टीम को भी सलाम करता है। वहीं, इस अभियान को सफल बनाने में सुप्रिया वर्मा का अहम योगदान रहा है। दरअसल, सुप्रिया वर्मा चंद्रयान-3 के लैंडर को बनाने वाली टीम का हिस्सा रही है। वह लगभग 15 साल से इसरो में वैज्ञानिक हैं। यहां सुप्रिया वर्मा सीनियर साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। सामाजिक और तकनीकी विकास के लिए जिस प्रकार से सुप्रिया वर्मा जैसी अन्य महिलाएं लगातार मेहनत कर रही हैं, इससे पता चलता है कि भारत का भविष्य और भी उज्जवल होने वाला है। आइए सुप्रिया वर्मा के बारे में विस्तार से जान लेते हैं। 
मुख्य रूप से सुप्रिया वर्मा झांसी की बेटी हैं। वह सिमरावारी गांव की शिव गणेश कॉलोनी की रहने वाली हैं। सुप्रिया वर्मा के पिता का नाम छिमाधर वर्मा है। वह आर्मी से रिटायर थे। रिटायर होने के बाद वह अस्पताल में मेल नर्स की नौकरी कर रहे थे। अब वे इस दुनिया में नहीं है। उनकी मां उर्मिला रानी रिटायर टीचर हैं। सुप्रिया का एक छोटा भाई भी है जिसका नाम सचिन वर्मा है। वह बीएचईएल में जॉब करता है।
सुप्रिया वर्मा बचपन से ही वैज्ञानिक बनना चाहती थी। उन्होंने कानपुर से बीटेक की। इसके बाद सुप्रिया ने ग्वालियर से एमटेक की डिग्री को हासिल किया। इसके बाद उनकी राजस्थान के कोटा निवासी रजनीश वर्मा से शादी हो गई। उनके पति सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी में सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं। 
सुप्रिया वर्मा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इसरो में फॉर्म फिल किया था। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि, उनका इसरो में सिलेक्शन हो जाएगा। इसलिए वह पति के साथ यूएसए चली गई। वहां जाकर सुप्रिया जॉब ढूंढने लगी। हालांकि, उनकी मां को कॉल लेटर मिला था। लेकिन उन्होंने लेटर के बारे में उन्हें नहीं बताया। क्योंकि उनको लगता था कि सुप्रिया इसरो के लिए यूएसए नहीं छोडे़गी। एक दिन जब उन्हें कॉल लेटर का पता चला तो वह इंटरव्यू देने इसरो गई, वहां सुप्रिया का सिलेक्शन हो गया। इसके बाद उन्होंने इसरो में जॉब ज्वाइन कर ली।
आपको बता दें, सुप्रिया चंद्रयान 2 टीम का भी हिस्सा रही और चंद्रयान 3 के लैंडर के एक मॉड्यूल बनाने में सुप्रिया का सहयोग रहा है। चंद्रयान-3 के लैडिंग पर वह कहती हैं, लास्ट के मिनट बहुत भारी थे। बार-बार रोंगटे खड़े हो रहे थे। जैसे ही सफल लैडिंग हुई, तो खुशी से झूम उठी। ये पल मेरी जिंदगी का ऐतिहासिक पल था।
साभार अमर उजाला