आपने कई लोगों को सड़कों पर बेसहारा देखा होगा, उनकी मदद करने के बारे में सोचा भी होगा। ऐसे में आप किसी बेसहारा को कुछ पैसे या भोजन देकर मान लेते हैं कि आपके अपने कर्तव्यों को पूरा कर लिया है। लेकिन इससे अधिक आप किसी असहाय या बेसहारा या गरीब इंसान के लिए क्या करते हैं? अगर आप सोच में पड़ गए हैं तो राजस्थान की एक महिला की कहानी आपको दूसरों की मदद के लिए प्रेरित करेगी। इस महिला को बुजुर्गों की बेटी कहा जा सकता है। वह हर असहाय, वृद्ध की बेटी है।
राजस्थान की मददगार बेटी
राजस्थान के हनुमानगढ़ की रहने वाली सुमन मेडल मेहरा हर उस व्यक्ति के लिए मसीहा हैं, जो बीमार है, बेसहारा है और आर्थिक परेशानियों की वजह से अपना सही इलाज नहीं करा सकता है। सुमन हर जरूरतमंद की मां बनकर और हर बुजुर्ग की बेटी बनकर उनकी मदद करती हैं। सुमन बचपन से नर्स बनना चाहती थीं लेकिन जब 13 साल की हुईं तो पारिवारिक कारणों से उनकी शादी करा दी गई।
शादी के बाद उनकी पढ़ाई रुक गई लेकिन उन्हें अपने पति का पूरा समर्थन मिला। आर्थिक परेशानियों के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद सुमन एक अस्पताल में काम करने लगीं। लेकिन जरूरतमंद लोगों की मदद करने की ख्वाहिश हमेशा बनी रही।
सुमन मेडल मेहरा ने की शेल्टर होम की शुरुआत
एक बार सड़क पर एक अनजान शख्स को घायल देखकर सुमन ने उसकी जान बचाई। इसके बाद उन्होंने जगह-जगह जाकर ऐसे ही बेसहारा लोगों की मदद करने की ठानी और फिर इसी काम में जुट गईं। सुमन ने न सिर्फ इन लोगों का इलाज किया, बल्कि बुजुर्गों को उनके परिवारों से मिलवाने का काम भी किया। इस दौरान कई लोग ऐसे भी मिले, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं था और उनका इलाज सड़कों पर करना संभव नहीं था। ऐसे लोगों के लिए उन्होंने आशियाना बनाने का मन बनाया और राजस्थान में ही 'मानव सेवा आश्रम' नाम' एक शेल्टर होम की शुरुआत की, जिसमें आज 50 से ज्यादा बेसहारा लोग रहते हैं।
साभार अमर उजाला
विविध क्षेत्र
सुमन मेडल मेहरा - ऐसे बनी बेसहाराओं की मसीहा
- 08 Dec 2023