अधिकांश पेरेंट्स पुलिस के झंझट में नहीं पडऩा चाहते, ले रहे हैं सायबर एक्सपर्ट की मदद
इंदौर/भोपाल। आज के समय में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक मोबाइल, लैपटाप और अन्य उपकरणों के जरिए इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। देखने में आया है कि सबसे अधिक स्कूली बच्चे और युवा इंटरनेट का उपयोग पढ़ाई या अन्य कामों में कर रहे हैं। इसी दौरान सोशल मीडिया और आनलाइन गेमिंग की भी लत उन्हें लग रही है। ऐसे में कुछ बच्चे सायबर बुलिंग का शिकार भी हो रहे हैं। जब इन बच्चों के अभिभावकों को पता चलता है तो कुछ ही पुलिस की मदद लेते हैं, वहीं अधिकांश पुलिस के झंझट में पडऩा नहीं चाहते और सायबर एक्सपर्ट की मदद ले रहे हैं। इंदौर और भोपाल में कुछ मामले सायबर बुलिंग के सामने भी आए हैं।
दरअसल गत दिनों सोशल मीडिया पर दोस्ती होने के बाद उसी दोस्त ने 14 वर्षीय किशोरी को अश्लील मैसेज, फोटो और कई तरह के अश्लील साइट के लिंक भेजे। किशोरी ने लिंक ओपन की फिर उससे रुपयों की मांग होने लगी। ऐसा नहीं करने पर फोटो सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी तो किशोरी डर गई और घर में ही चोरी करके रुपए उसे देने लगी। मां ने बेटी की हरकत को पकड़ा और उससे बातचीत की। मामला भोपाल का है। जहां कोहिफिजा निवासी पिता ने पूरा प्रकरण पुलिस को बताने की जगह सायबर एक्सपर्ट के माध्यम से सुलझाया। यह अकेला मामला नहीं है। सायबर बुलिंग के शिकार हो रहे बच्चों के मामले में पैरेंट्स पुलिस की नहीं, सायबर एक्सपर्ट व काउंसलर की मदद ले रहे हैं। इंदौर और भोपाल में ऐसे मामले सुलझाने के लिए 18 से अधिक सायबर एक्सपर्ट और काउंसलर सेवाएं दे रहे हैं।
8 से 17 साल तक के बच्चे हो रहे शिकार
चाइल्ड लाइन भोपाल के अनुसार ऐसे कई मामले हमारे पास भी आए। सबसे ज्यादा सायबर बुलिंग के शिकार 8 से 17 साल के बच्चे हो रहे हैं। इनमें से कई बच्चे ऐसे सामने आए हैं, जो ऑनलाइन गेम की लत के शिकार हो गए। इन्हें सोशल मीडिया दोस्तों ने फाइनेंस भी किया। फिर बच्चों पर रुपए देने के लिए दबाव बनाया। ऐसे में बच्चों ने घर में चोरी तक की। मामले में जब पैरेंट्स से केस दर्ज कराने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया।
उपाय- बच्चों को ऐसे बचाए सायबर बुलिंग से
मजबूत पासवर्ड बनाए। दुरुपयोग को रोकने के लिए रेगुलर उसे बदलते रहें।
सोशल साइट्स में गोपनीयता सेटिंग्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें
केवल अपने जानकार लोगों से बातचीत करें।
अकाउंट हैक या चोरी होने का शक हो तो तुरंत पुलिस और सायबर एक्सपर्ट की मदद ले।
यदि कोई बच्चा बुलिंग का शिकार हो रहा है या कोई परेशान कर रहा है तो उसी प्रकार की प्रतिक्रिया न करें।
हर उस चीज का स्क्रीनशॉट लें, जिसे आप समझते हैं कि ये सायबर बुलिंग हो सकती है, उसे सुरक्षित रखें।
यदि कोई आपको-परेशान करता है तो उसे ब्लॉक करें।
क्या है सायबर बुलिंग
बुलिंग का मतलब होता है तंग करना। ये बुलिंग इंटरनेट या डिजिटल तरीके से की जाए तो इसे सायबर बुलिंग कहते हैं। इन दिनों बच्चे एवं टीनेजर, फेसबुक, वॉट्सएप और इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं। यहां वो अपनी फोटो और पर्सनल डीटेल शेयर करते हैं। यहीं उनका सामना किसी बुलिंग करने वाले से हो जाता है।
यूनिसेफ ने भी खतरे को भांपा
यूनिसेफ ने इस खतरे को भांपते हुए 'चाइल्ड ऑनलाइन प्रोटेक्शन इन इंडियाÓ के नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें पाया गया कि इंटरनेट पर सक्रिय 43त्न बच्चे किसी ना किसी तरह सायबर बुलिंग का शिकार हुए हैं। 52त्न बच्चों ने माना कि वो खुद भी सायबर बुलिंग करने में शामिल हैं।
पुलिस में शिकायत का कहो तो कई पैरेंट पीछे हट जाते
ऐसे मामलों में पैरेंट्स कानूनी मदद लेते हैं। बुलिंग के शिकार हुए बच्चों की शिकायत पुलिस में करने को कहते हैं तो कई पैरेंट पीछे हट जाते हैं। ऐसे में उन्हें अन्य सायबर एक्सपर्ट की मदद लेने की सलाह देते हैं। कुछ पैरेंट चाहते हैं कि पुलिस मदद करे, लेकिन उसकी जानकारी किसी को न लगे। वैसे बच्चों के मामले में जेजे एक्ट के मुताबिक पुलिस भी गोपनीयता बनाए रखती है।
DGR विशेष
सायबर बुलिंग के शिकार हो रहे बच्चे
- 05 Jan 2022