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संवेदनहीन मानसिकता...

  • 02 Nov 2022

मनुष्य यदि संवेदनाहीन है, तो मनुष्यता पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह होगा... मनुष्य के संवेदनहीन होने की स्थिति में... पशुता का परिचय मिलता है... वेदना की अनुभूति तो प्राणी मात्र को ईश्वर ने प्रदान की है... लेकिन संवेदना भी मनुष्य का पहला मौलिक गुण है... इंदौर की मंडी में पिछले दिनों  मोबाइल चोरी के शक में... दो नाबालिग बच्चों को मारा पीटा गया... और उन्हें पैरों से बांधकर लोडिंग  वाहन से घसीटा गया... चोरी एक अपराध है... नाबालिग करें या बालिग करें... अपराध की सजा देने का दायित्व... न्यायपालिका का है... किसी को भी कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है... फिर क्यों भीड़ किसी भी घटना के बाद... न्यायपालिका के दायित्व का निर्वहन करने लगती है...क्यों मनुष्य संवेदनाहीन हो जाता है...क्यों  इंसानियत को कल अंकित किया जाता है... माना कि चोरी अपराध है... हम अपराध का समर्थन कतई नहीं करते हैं...ना करेंगे...(सो अपराधी छूट जाए... पर एक निरपराधी को सजा ना मिले... यह  न्याय व्यवस्था का प्रथम आधार है...) प्रश्न अवश्य ही उठेगा की ...क्या कोई शोक से अपराधी होता है...? हम फिर कहेंगे कि... चोरी के बजाए  व्यक्ति मेहनत करें ...तो जीवन मान सम्मान से जिया जा सकता है... ।
फिर चोरी की और नाबालिग बच्चों ने चोरी की है तो... अवश्य ही कोई ना कोई कारण भी रहा होगा ...यही एक प्रश्न उठता है...यह परिवेश और परवरिश को भी चुनौती है... कि कहां  चूक हुई परवरिश मे... कहां चूक हुई परिवेश की ...वातावरण कैसा मिला... कि बच्चे चोरी करने लगे... जिम्मेदार वह भी है जिनके लालन-पालन में चूक हुई है... फिर भी सुधरने के एक अवसर के आधार पर...बच्चों के साथ अमानवीयता  की हदें पार नहीं करना चाहिए थी... ।
चोइथराम मंडी में दो नाबालिग के साथ... जो अमानवीय हरकत हुई...उसकी जितनी निंदा की जाए...कम है...। इंदौर हमेशा अपनी उदारता और सहिष्णुता के लिए जाना जाता है... यहां के वातावरण में... आत्मीयता की  सुगंध है... जिसे हर कोई महसूस कर सकता है... इस घटना ने सभी संवेदनशील... व्यक्तियों को हिला दिया है... इस अमानवीय घटना की निंदा की जानी चाहिए... इस घटना ने दुर्गंध दुर्गंध फैलाई है... । क्या हम ऐसा वातावरण नहीं दे पा रहे हैं कि... बच्चे अपराधी होने से बचे... बच्चे संवेदनशील हो...और संस्कारवान हो...अगली पीढ़ी विचार वान हो...। वैसे भी सिर्फ सजा से... यदि अपराधी सुधरते तो... आज देश की जेलों में... यू सर प्लस अपराधी सजा ना पा रहे होते... बच्चों को पीटने की घटना ने... मन को द्रवित किया है... मानवीयता की इस तरह की घटना... भविष्य में न दोहराई जाए यही कामना करते हैं... फिर भी अपराध का हम समर्थन नहीं करते हैं... ।