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इंदौर

सिविल जज के नोटिफिकेशन का विरोध शुरू

  • 30 Jun 2023

तीन साल की वकालात जरूरी वाला नियम सामान्य कैटेगरी के साथ अन्याय
इंदौर। हाल ही में सिविल जज की शैक्षणिक योग्यता के नियम में परिवर्तन कर तीन साल की वकालत जरूरी करने के मामले का विरोध शुरू हो गया है। एलएलबी छात्रों का कहना है कि उन्हें परीक्षा के पूर्व ग्रेजुएट होना होता है। इस प्रकार डबल ग्रेजुएट करने के बाद तीन साल की वकालत करने तक उम्र 28 वर्ष से ज्यादा हो जाती है। ऐसे में यह नियम व्यावहारिक नहीं हैं। छात्रों का कहना है कि अन्य राज्यों में ऐसा नियम नहीं है।
सिविल जज की तीन साल की वकालत जरूरी करने के मामले में राज्य शासन ने हाल ही में गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके खिलाफ वकालत की पढ़ाई कर रहे छात्र आंदोलन करने की तैयारी में हैं। एडवोकेट पंकज वाधवानी ने इस मामले में सरकार से मांग की है कि वह इस पुनर्विचार करें क्योंकि नोटिफिकेशन निरस्त करें। नोटिफिकेशन में जनरल कैटेगरी के लिए एक ऐसा नियम बनाया है जो व्यावहारिक व विसंगति पूर्ण है। नियम में बताया गया है कि फस्र्ट अटेम्ट में एलएलबी, बीए, एलएलबी में 70त्न से पास होने वाले छात्रों के लिए लागू नहीं होगा जबकि एससी-एसटी के लिए 50त्न का प्रावधान किया गया है।
छात्रों का कहना है कि एलएलबी में आमतौर पर 70त्न नंबर थ्योरी विषय होने के कारण नहीं आ पाते। इस नियम से जनरल कैटेगरी के छात्र परीक्षा से वंचित हो जाएंगे। विधि जैसे सैद्धांतिक विषय में 70त्न नंबर लाना जटिल होता है। ऐसे में इस दायरे में आने वाले छात्र जो पढ़ाई में मेरिटोरियस हैं वे भी सिविल जज की परीक्षा नहीं दे पाएंगे। इस नियम में शिथिलता के साथ यानी 60त्न ठीक है लेकिन 70त्न से कई सामान्य कैटेगरी के छात्र परीक्षा के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इसे लेकर एक अभ्यावेदन चीफ जस्टिस व मुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है।