भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों सघन पोषण पखवाड़ा चल रहा है। घर-घर जाकर बच्चों की सेहत जांची जा रही है। लेकिन, बड़ी बात ये है कि केंद्र सरकार के प्रावधानों के विपरीत एक बच्चे के पोषण आहार पर सिर्फ 6 से 7 रु. प्रतिदिन ही खर्च किए जा रहे हैं, जबकि केंद्रीय प्रावधानों में 6 से 72 महीने के बच्चे पर 8 रु., अति गंभीर, तीव्र कुपोषित बच्चे पर 12 रु., गर्भवती व पात्र महिला पर 9.50 रु. प्रतिदिन खर्च करने की बात है। लेकिन राज्य सरकार इससे कम खर्च कर रही है।
इसकी बड़ी वजह है- पोषण आहार के लिए सिर्फ 1450 करोड़ रु. का बजट। यह स्थिति सरकार द्वारा बताए गए हितग्राहियों की संख्या और उनपर रखे गए बजट के आंकड़ों के आकलन में सामने आई है। प्रदेश में पोषण आहार के लिए 83.54 लाख (69.44 लाख बच्चे व 13.66 लाख गर्भवती-धात्री महिलाएं) लोग रजिस्टर्ड हैं। यदि प्रति हितग्राही में 1450 करोड़ रु. का बजट बांटें तो प्रति हितग्राही 5 रु. 80 पैसे प्रतिदिन ही बनते हैं।
67 करोड़ की कटौती
हर साल में 300 दिन बच्चे व गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार देना होता है। इसके बावजूद सरकार ने पिछले दो साल में पोषण आहार के बजट में करीब 67 करोड़ की कटौती भी कर दी है। वर्ष 2019-20 में 1517 करोड़ बजट था जो अब 1450 करोड़ रह गया है। पोषण आहार का पूरा बजट मप्र में सिर्फ इस बात पर टिका है कि आंगनवाडिय़ों में कितने बच्चे और गर्भवती महिलाएं पहुंच रही हैं। यदि रजिस्टर्ड संख्या के हिसाब से पहुंच जाएं तो बजट गड़बड़ा जाएगा। प्रति बच्चा व गर्भवती पर होने वाला पोषण आहार का खर्च क्रमश: दो से चार रुपए कम हो जाएगा। यदि 65 से 70 लाख हितग्राही प्रतिदिन आहार लें तो 7 से 8 रु. प्रति हितग्राही खर्च होंगे।
मिशन पर कोई बजट नहीं
जिलों में नवाचार करके कुपोषण को खत्म करने और विभागों के साथ साझा योजना बनाने के लिए अटल बाल आरोग्य मिशन भी मप्र में चल रहा है, लेकिन दो साल से इस मिशन पर कोई बजट नहीं है। चालू वित्तीय वर्ष में तो टोकन राशि के तौर पर तीन हजार रुपए रखे गए हैं। जबकि 2018-19 में 50 करोड़ रखे थे।
भोपाल
सिस्टम ही हो गया कुपोषण का शिकार : 8 से 12 की जगह हर बच्चे पर खर्च कर रहे मात्र 6 रुपए
- 23 Feb 2022