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उज्जैन

सड़क दुर्घटना के एक हजार प्रकरण लंबित

  • 28 Nov 2022

उज्जैन। जिले में सड़क दुर्घटना के एक हजार से अधिक प्रकरण लंबित हैं। कुछ ऐसे हैं, जिनका 10 साल बाद भी निराकरण नहीं हुआ है। ऐसा ही एक उदाहरण गणेशनगर के बुद्धिप्रकाश का है, जो 12 साल पहले सड़क हादसे में अपना हाथ गंवा बैठे थे। जिस बस से उनकी दुर्घटना हुई थीं, उसका बीमा भी नहीं हुआ था। दो वर्ष पहले उनकी मृत्यु हो गईं, मगर आरोपित बस कंपनी या चालक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब पीडि़त के रूप में बुद्धिप्रकाश की पत्नी और बेटा कोर्ट से इंसाफ मांग रहे हैं।
वरिष्ठ अभिभाषक हरदयालसिंह ठाकुर का कहना है कि पीडि़त पक्षकार न्यायालय में क्लेम लगाता है। न्यायालय ड्राइवर, वाहन स्वामी, बीमा कंपनी को कोर्ट में उपस्थित होने को नोटिस भेजती है। इस नोटिस में सबसे अधिक विलंब होता है। जिन वाहनों का बीमा नहीं होता है, तब ड्राइवर एवं वाहन मालिक से क्षतिपूर्ति वसूलना बहुत कठिन कार्य होता है। उज्जैन की ज्यादातर सड़कों पर तकनीकी खामी है। चौड़ी सड़कों पर भी फुटपाथ, उचित संकेतक की कमी है। ज्यादातर केस में वैज्ञानिक टीम सड़क दुर्घटना स्थल पर जांच करने नहीं पहुंची है। नतीजतन सड़कों का तकनीकी मापदंड अनुरूप सुधार नहीं हुआ है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने सड़क सुरक्षा के लिए गाइडलाइन जारी कर रखी है।
लोक अदालतों में यह स्थिति
इस साल की अंतिम लोक अदालत में समझौते से निराकृत करने को सड़क दुर्घटना क्षतिपूर्ति के 552 प्रकरण रखे थे, जिनमें 84 निराकृत हुए। सड़क दुर्घटनाओं को न्यून करने के लिए जरूरी है कि दुर्घटना के कारणों का वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण हो और विश्लेषण के आधार पर रोकथाम के लिए कदम भी उठाए जाए। केस का कोर्ट में लंबा खिंचाने की एक वजह दुर्घटनाओं की जांच फौरी तौर पर होना भी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर सड़क सुरक्षा समिति ने भी दुर्घटनाओं की जांच पड़ताल वैज्ञानिक तरीके से कराने, ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने, सड़कों के सुधार, शून्य सड़क दुर्घटना लक्ष्य को प्राप्त करने पर जोर दिया है।